ट्रकों की जगह ऑटो रिक्शा, लग्जरी कारों से करवा दी चावल की ढुलाई, अब सीबीआई करेगी जांच

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लखनऊ। यूपी के बरेली, पीलीभीत, बदायूं में एफसीआई के अफसरों ने धान की फर्जी खरीद दिखाकर करोड़ों का घोटाला कर दिया। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एरिया मैनेजर से लेकर क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर और सेंटर इंचार्जों ने ट्रांसपोर्टर और राइस मिलरों के साथ मिलकर ट्रकों की जगह कागजों में ऑटो रिक्शा, लग्जरी कारों, बोलेरो, पिकअप से चावल की ढुलाई करवा कर बड़ा घोटाला कर दिया। इस पूरे घोटाले की शिकायत के बाद विभाग की ओर से कराये गये विजिलेंस जांच में एरिया मैनेजर समेत एफसीआई के 6 अधिकारी दोषी पाये गये हैं। विभागीय जांच में बड़ा घोटाला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया है।

‘ख़बर अब तक’ को मिली जानकारी के मुताबिक 2018 और 2019 में एफसीआई के तत्कालीन बरेली ऐरिया मैनेजर केके शांडिल्य ने केंद्र सरकार की खरीफ खरीद नीति के तहत बरेली, पीलीभीत, बदायूं में धान की खरीद करावाया था। इस दौरान किसानों से धान की खरीद करने के बजाय सीधे राइस मिलरों से धान की खरीद की गई। सभी खरीद केंद्रों पर प्रतिदिन फर्जी धान खरीद दिखाकर इस धान को खरीद केंद्र से लेकर राइस मिलों तक भेजने के नाम पर फर्जी ट्रांसपोर्ट बिल लगाये गये। इसके बाद राइस मिलों से गोदाम तक चावल पहुंचाने में भी फर्जीवाड़ा किया गया। 13 सितंबर 2019 को कुछ सबूतों के साथ इस घोटाले की शिकायत अमन गुप्ता नाम के ब्यक्ति ने एफसीआई मुख्यालय में की। शिकायत के बाद एफसीआई के उच्चाधिकारियों द्वारा जांच के लिए सीजेएम विजिलेंस केएन मलिक के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। विजिलेंस जांच में पूरा घोटाला सामने आने के बाद एफसीआई मुख्यालय ने सीबीआई जांच की संस्तुति की थी। जिस पर केंद्र सरकार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का आदेश दे दिया है।

बताया जा रहा है कि सीबीआई जांच के आदेश के बाद अफसरों से लेकर मिलरों तक में हड़कंप मच गया है। इस घोटाले में एफसीआई के तत्कालीन ऐरिया मैनेजर केके शांडिल्य, मैनेजर क्वालिटी कंट्रोल-जयवीर सिंह, मैनेजर खरीद-प्रदीप कुमार, मैनेजर गोदाम-अशोक कुमार, सेंटर इंचार्ज-राहुल भारद्वाज, सेंटर इंचार्ज-आशीश गुप्ता के साथ ही कई मिलरों और ट्रांसपोर्टरों के फंसने की चर्चा है। विजिलेंस जांच में 18 ट्रकों में से 11 ट्रको के नंबर फर्जी पाये गये हैं। जांच में पता चला है कि यूपी 25 H 8867 मारुति जेन, यूपी 25 T 9918 बजाज आटो रिक्शा, यूपी 27 AT 9534 नंबर रजिस्टर्ड नहीं, यूपी 27 TT 0679 महिंद्रा पिकअप, यूपी 25 BT 7233 बोलेरो के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। जबकि एफसीआई के अधिकारियों ने ट्रांसपोर्टरों को ट्रकों के नाम पर लाखों का भुगतान कर दिया।

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