बी.के.सिंह/संधीर शर्मा। देश के मशहूर ठग नटवरलाल का नाम तो आपने सुना ही होगा। लेकिन आज हम जिस सच से पर्दा उठाने जा रहे हैं उसे जानकर अगर नटवरलाल भी जिंदा होता तो इन जालसाजों के सामने अपना सिर झुका लेता। एक बार फिर हम यहां आपको बताना चाहते हैं कि गोरखपुर के इतिहास में ऐसा घपला-घोटाला कभी नहीं हुआ है। आज अपने इस खुलासे में हम गोरखपुर जिले के सदर तहसील के एक ऐसे गांव का सच बताने जा रहे हैं जिस गांव के किसी भी घर में शायद ही खाने भर का धान पैदा हुआ हो। हालांकि सरकारी आकड़े तो यह बता रहे हैं कि इस गांव के लोगों ने जिले भर में घूम-घूम कर खूब धान बेचा है। जिला मुख्यालय से करीब 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित सदर तहसील के अहिरौली गांव के लोगों का दावा है कि इस गांव में न तो किसी भी किसान के खेत में धान पैदा हुआ है और न ही किसी किसान ने सरकारी क्रय केन्द्र पर धान बेचा है।
‘ख़बर अब तक’ के पास जो दस्तावेज मौजूद हैं उसके मुताबिक अहिरौली गांव के रहने वाले महेन्द्र ने 166 कुंतल, अवधेश पटेल 190 कुंतल, मनीष यादव 98 कुंतल, राघवेन्द्र पांडे 150 कुंतल, आशा देवी 130 कुंतल, निर्मला देवी 74 कुंतल, मीरा देवी 122 कुंतल, शुशीला सिंह 140 कुंतल, कुमकुम देवी 113 कुंतल, प्रिय सिंह 130 कुंतल, इन्द्रावती 109 कुंतल, कविता निषाद 157 कुंतल, अलाउद्दीन 202 कुंतल, मेराज हुसैन 146 कुंतल, संघर्ष मणि उपाध्याय 150 कुंतल, दुर्गावती देवी 170 कुंतल, जयनारायन सिंह 180 कुंतल, राजकुमार 152 कुंतल, माया देवी 199 कुंतल, उमेश 245 कुंतल, शंभूलाल 90 कुंतल, मैनुद्दीन 159 कुंतल, अनिल 155 कुंतल, गोविंद 149 कुंतल, सुनील 205 कुंतल, मनोज कुमार 156 कुंतल, गिरिजा 220 कुंतल, शेषनाथ 150 कुंतल, राजेन्द्र 143 कुंतल, उमेश चन्द्र 213 कुंतल, जितेन्द्र 150 कुंतल, प्रदीप 148 कुंतल, नीलम 148 कुंतल, अखिलेश 185 कुंतल, हरिहर 160 कुंतल, महेन्द्रनाथ 160 कुंतल, देवी प्रसाद 199 कुंतल, रामदरस 180 कुंतल, विश्ववती देवी 198 कुंतल, रामसकल 150 कुंतल, श्रीराम 164 कुंतल, नीतू 163 कुंतल, आशा 166 कुंतल, महंथ 142 कुंतल, फूलपती 90 कुंतल, अवधेश 94 कुंतल, प्रभावती देवी 94 कुंतल, सीमा गुप्ता 123 कुंतल और मुन्ना ने 150 कुंतल धान पैदा किया तथा इस धान को जिले के विभिन्न क्रय केन्द्रो पर बेच दिया। जबकि इस गांव के लोगों का कहना है कि बाढ़ के चलते इस गांव में तो धान ही पैदा नहीं हुआ है।
इन किसानों का सच जानने के लिए ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने जब अपनी पड़ताल शुरू की तो पता चला कि किसान पंजीकरण के दौरान इन किसानों ने जिस जमीन को अपना बताकर पंजीकरण कराया है दरअसल राजस्व विभाग के रिकार्ड में वह जमीन किसी और के नाम दर्ज है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से कई ऐसे किसान भी हैं जिन्होने पंजीकरण के दौरान जो जमीन दिखाया है उसका खाता संख्या ही फर्जी है। ‘ख़बर अब तक’ के पास जो दस्तावेज मौजूद हैं उसके मुताबिक इस गांव के करीब 150 किसानों ने 15000 कुंतल से ज्यादा धान सरकार को बेचा है और कई करोड़ रूपये भुगतान भी प्राप्त किया है। ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने इन किसानों का पता लगाने के लिए कई बार अहिरौली गांव का दौरा किया। लेकिन इनमें से ज्यादातर नाम के किसान अहिरौली गांव में नहीं मिले। कुछ किसान मिले भी तो उनका दावा था कि बेचना तो दूर खाने भर का अनाज उनके खेत में पैदा नहीं हुआ है।
इस पूरे मामले में ‘ख़बर अब तक’ की पड़ताल जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है कई और चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इस धान को पैदा करने के लिए छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक ने खूब मेहनत किया है और उसका प्रतिफल भी प्राप्त किया है। ‘ख़बर अब तक’ के खुलासे के बाद लोग यह कह रहे हैं कि इतना बड़ा घपला-घोटाला बिना अफसरों की रजामंदी के नहीं हो सकता। धान खरीद घोटाले का सच जानने के लिए गोरखपुर से लेकर महराजगंज तक जिन भी गॉवों में हमारी टीम पहुंची है वहां के स्थानीय लोगों ने हमारा हर तरह से सहयोग किया है। जो भी लोग हमें अपना समर्थन दे रहे हैं हम उनके आभारी हैं। हमारा यह प्रयास है कि अन्नदाता के साथ अन्याय करने वालों को हर हाल में सजा दिलाया जाए। बिना जन समर्थन के यह कर पाना संभव नहीं है इसलिए आपका सहयोग चाहिए।
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