मानना पड़ेगा, वाकई गजब की तकनीक ईजाद की है आज की भाजपा ने…। चुनाव में बखेड़ा खड़ा कीजिए, काल्पनिक डर पैदा कीजिए, असल मुद्दों से भटकाइए, बनावटी मुद्दे गढ़िए, झूठ बोलिए, चरित्र हनन कीजिए, इसके बाद भी जीत मुश्किल प्रतीत हो रही हो तो सामने वाले की विश्वसनीयता, राष्ट्रभक्ति पर भी सवाल उठा दीजिए, लोगों को गुमराह कर दीजिए और वोट ले लीजिए… इस तरह के ‘गुणों’ का ‘विकास’ कर जब जीत जाइए तो माफी मांग लीजिए और वह भी इस तरह कि वह माफी न लगे…! वाह… भाजपा… वाह मोदी जी…! …और आप भी देख रहे हैं ना अटलजी…?
जब हमने लिखा था कि नरेंद्र मोदी बेशक अधिक लोकप्रिय हैं, अधिक वाकपटु हैं लेकिन वक्तव्यों की विश्वसनीयता मनमोहन सिंह की उनसे कहीं अधिक है… तब कई सम्मानित लोग अपना सम्मान छोड़ अखाड़े में उतर आए थे। मनमोहन पर मोदी के झूठे आरोपों को एक शब्द में निंदनीय कहने की जगह कई-कई पंक्तियां खर्च कर दी थीं मोदी के झूठ को सही ठहराने में लेकिन आखिरकार आज खुद भाजपा ने संसद में मान लिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में झूठ बोला था…। संसद में अपना झूठ स्वीकार करने, माफी मांगने का यह तरीका जरूर अलग था; वैसे ही जैसे झूठ बोलने का तरीका भी बेजोड़ रहता है तथापि यह कम बात नहीं कि किसी भी तरीके से ‘आज की बीजेपी’ ने अपना, अपने नेता को झूठा मान लिया…।
यकीनन मोदी जी में बहुत खूबियां हैं लेकिन अंतिम खूबी (हालांकि यह बुराई है) है झूठ को सच बना देने की खूबी… जब उनकी सारी खूबियां हार जाती हैं तब वे इस अंतिम खूबी का इस्तेमाल करते हैं। गुजरात चुनाव में भी उन्होंने यही किया था मनमोहन के संबंन्ध में बोलते हुए, उन्हें आरोपित करते हुए…। दरअसल मोदीजी झूठ को भी इतने स्वाभिमान के साथ गरजते हुए बोलते हैं कि कोई अन्य नेता किसी सच को भी उस तरह प्रस्तुत न कर पाए, उसे बोलते हुए उतना गर्व न कर पाए। यदि आप मोदीजी को झूठ बोलते हुए सुन लीजिए तो आप भी जान जाएंगे कि वह अपने किसी झूठ के लिए कभी माफी नहीं मांगने वाले क्योंकि वह उसे कभी झूठ ही नहीं मानने वाले…। यह भी हमने अटलजी के जन्मदिन पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि गलतियों पर मोदी माफी नहीं मांग सकते, यह सिर्फ अटलजी कर सकते हैं। आज यह बात भी पुष्ट हो गई…
कांग्रेस अड़ी रही मनमोहन सिंह के संबंध में मोदी के बोले झूठ पर उनके माफीनामे के लिए लेकिन मोदी ने न अपना झूठ माना, न मांगी माफी। हाँ, जेटली जरूर आज सामने आए 56 इंच वाले सीने की ढाल बनकर। कहा कि मनमोहन सिंह की विश्वसनीयता पर कोई शक नहीं है…। कभी सवाल नहीं उठाया उन पर…। जेटली सीधे यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए कि मोदीजी झूठ बोले थे मनमोहन के संबंन्ध में… तो उल्टे उनके झूठ के बचाव में एक झूठ और बोल दिए कि मनमोहन सिंह की विश्वसनीयता पर कभी सवाल नहीं उठाया गया…। क्या वाकई? अरे भाई, गुजरात चुनाव प्रचार को अंतिम दौर में सिर्फ मनमोहन और कांग्रेस को राष्ट्रद्रोही साबित करने तक सिमटा दिया गया और आप कहते हैं कि उनकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया…? माने चुनावी सभा में बोले गए झूठ के बचाव में अब संसद में भी झूठ…। बजा दें ना इस खूबी पर ताली? अरे अब भी शर्म कीजिए। प्रायः पूरे देश में आपकी सत्ता हो गई है। अब तो सच बोलिए, सच स्वीकार कीजिए और सच्चा शासन कीजिए…। कम से कम अब से भी कीजिए…!
(अमर उजाला अख़बार में कार्यरत युवा पत्रकार मृत्युंजय त्रिपाठी के फेसबुक वाल से साभार)