CJI बनने के बाद जस्टिस गोगोई जब पहली बार पत्रकारों से मिलने सुप्रीम कोर्ट के प्रेस लाउंज में आये थे। तब वहां मौजूद अपेक्षाकृत एक नई महिला पत्रकार ने मासूमियत से पूछा कि आप हमसे मिलने क्यों आये हैं ? चीफ जस्टिस ने मज़ाक में कहा था कि इस बात के लिए मुझ पर #metoo मत कर देना ! तब एम. जे. अकबर का मामला छाया हुआ था, लेकिन समय का खेल देखिये !!
चीफ जस्टिस के इस बात से मैं सहमत हूँ कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ कोई बड़ी साजिश हो सकती है। हालांकि, अगर ऐसे आरोप किसी दूसरे व्यक्ति पर लगते तो उन्हें जेल जाना होता और अदालत आसानी से जमानत भी नहीं देती।
आखिर में .. एक धार्मिक व्यक्ति ने मुझे कहा कि जो भगवान राम के मामले में टाल- मटोल करता है, ईश्वर उन्हें ऐसी हालातों से रूबरू करवाते हैं।
।। राम की लीला तो राम ही जाने ।।
(इंडिया टीवी के वरिष्ठ पत्रकार मनीष झा के एफबी वॉल से साभार)