कोसली भाषा के जाने-माने कवि पद्मश्री हलधर नाग को लेकर समय-समय पर सोशल मीडिया में कई पोस्ट वायरल होते रहते हैं। इस समय सोशल मीडिया में हलधर नाग से जुड़ा एक पोस्ट वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में कहा गया है कि पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए हलधर नाग के पास दिल्ली जाने के पैसे नहीं थे। नाग ने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उनका पुरस्कार डाक से भेज दिया जाए। इस तरह के दावों वाले पोस्ट पहले भी वायरल हो चुके हैं। अब फिर से यह पोस्ट वायरल होने के बाद लोग इसकी सच्चाई जानना चाहते हैं।
दरअसल हलधर नाग को 2016 में पद्मश्री का पुरस्कार मिला था। 2016 में जब पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया गया था तब उन्होंने सरकार को अपनी गरीबी का हवाला देते हुए कोई पत्र नहीं लिखा था और न ही पदमश्री पुरस्कार को डाक से भेजने की बात कही थी। हलधर नाग को पद्मश्री पुरस्कार से पहले से ही ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से उन्हें कलाकार भत्ता दिया जा रहा था। ओडिशा सरकार ने उन्हें रहने के लिए जमीन भी दी है, जिस पर एक डाक्टर ने अपने खर्च से मकान भी बनवा दिया है। नाग को सरकार की ओर से करीब 18,500 रुपये का मासिक भत्ता भी मिलता है।
हलधर नाग पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि 2016 में पद्मश्री पुरस्कार लेने के लिए केंद्र सरकार की ओर से उन्हें पूरी सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। कार से उन्हें रायपुर ले जाया गया था और वहां से उन्हें विमान से दिल्ली ले जाने के बाद होटल में रखा गया। इस दौरान उन्हें दिल्ली में ओडिशा कैडर के अफसरों ने भी भरपूर सहयोग किया था। वायरल पोस्ट को लेकर हलधर नाग बताते हैं कि सोशल मीडिया में लगातार झूठे पोस्ट वायरल होते रहते हैं। कभी उन्हें पानी-भात खाते तो कभी चने बेचते दिखाकर बदनाम किया जाता है। कभी-कभी तो उनकी आवाज की ऩकल करके भी पोस्ट अपलोड कर दिया जाता है। जो गलत है और वे ऐसे पोस्ट से काफी दुखी और आहत होते हैं।
पद्मश्री डा. हलधर नाग का जन्म 31 मार्च, 1950 को ओडिशा के बरगढ़ जिले के घेंस गांव में हुआ था। उनका परिवार बेहद गरीब था। नाग बहुत छोटे थे, तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह तीसरी कक्षा तक ही पढाई कर सके। हलधर नाग पर कविताएं लिखने का जुनून सवार था और इस वजह से बहुत जल्द ही वे देशभर में मशहूर हो गए। कई लोग उनकी लिखी कविताओं पर पीएचडी कर चुके हैं। नाग की कई प्रसिद्ध रचनाओं को लेकर संकलित ‘हलधर ग्रंथावली’ विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी शामिल है।