आज महिलाओं द्वारा पुरुषों का उत्पीड़न एक अजूबा नहीं रह गया है. आप सोच नहीं सकते, मैं स्वयं एक ऐसी महिला के निरंतर उत्पीड़न का शिकार हूँ जिनका यौन शोषण करना तो दूर, ऐसा सोचने का भाव भी मेरे मन में नहीं आया. इसके बाद भी वह मोहतरमा बेहद बेशर्मी से यह सफ़ेद झूठ बोलती फिरती हैं और चंद लोग उनके साथ भी हो लेते हैं. आप मेरी व्यथा कथा का अनुमान लगा सकते हैं कि बिना सोचे और जाने ही ऐसे घिनौने अपराध का अपराधी बता दिए जाने पर कितना कष्ट होता होगा. मुझे लगता है, समाज और कानूनविदों को अब ऐसे उत्पीड़नों का भी संज्ञान लेना चाहिए तथा ऐसा करने वाली महिलाओं के प्रति भी सख्त क़ानून बनाना चाहिए. यह निरंतर परिवर्तित हो रहे समाज की जरुरत है.
(यूपी के चर्चित आईपीएस अमिताभ ठाकुर के फेसबुक वॉल से साभार)