इस पत्रकार ने अपना वादा पूरा किया और दे दिया अख़बार से इस्तीफा..

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में निष्पक्ष प्रतिदिन अख़बार और मनीष श्रीवास्तव पत्रकार की एक अलग पहचान है। फिलहाल मनीष श्रीवास्तव ने निष्पक्ष प्रतिदिन अख़बार से इस्तीफा दे दिया है। मनीष ने यह कदम अख़बार के संपादक जगदीश नारायण शुक्ल की मृत्यु के बाद उठाया है। मनीष श्रीवास्तव ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है.. “आज जो कुछ भी हूँ सबका श्रेय अपने दिवंगत संपादक श्री जगदीश नारायण शुक्ल को ही दूंगा। मैंने पत्रकारिता उस शख्सियत के नेतृत्व में सीखी, जो किसी स्तम्भ से कम नहीं थी। डर नाम का शब्द उनकी डिक्शनरी में कभी था ही नहीं। हां उनके नाम से भ्रष्टों में एक खौफ पैदा हो जाता था। मुझे एक बेटे की तरह प्यार दिया तो मैंने भी आज तक पूरी ईमानदारी से अपने सभी दायित्वों का निर्वहन किया। एक बार मैंने संस्थान को अलविदा बोलना चाहा तो सर बोले कि मनीष तुम हो तो इस उम्र में तो मैं भी काम कर रहा हूँ वरना मेरी उम्र के सारे साथी अब इस दुनिया को अलविदा बोल रहे हैं जब तक हो चलाओ। मुझको जला देना तब जाना यहां से। अब इतनी बड़ी बात के आगे मेरी आंखों ने भी जवाब दे दिया। फिर कभी कुछ बोल नहीं सका। अक्सर मेरे शुभचिंतक बोलते थे मनीष ज्यादा समय प्रतिदिन में रहोगे तो करियर खराब हो जाएगा। अब अपनी मेहनत से कितना करियर संवारा या गिराया। ये फैसला भी उन पर ही छोड़ना मुनासिब होगा। इतना जरूर विश्वास दिलाऊंगा कि आज तक पत्रकारिता में सिद्धांतों से समझौता न किया, न ही कभी करूँगा।

निष्पक्ष प्रतिदिन परिवार का सदस्य रहना मेरे लिए सिर्फ एक नौकरी भर कभी नहीं रहा। सर हमेशा बोलते थे खबरों से थप्पड़ मारो तो आवाज़ आनी चाहिए इसलिए अपनी खबरों के खुलासों को इतना पैना बनाया कि दूसरा मौका क़भी दिया ही नहीं। संस्थान के प्रति ईमानदारी से कुछ लोग खफा भी हो गए। मैंने कभी परवाह नहीं की। न ही कोई मन मे चाह थी। सर अक्सर बीमार रहते थे तब मैं खबरों की धार को और पैना कर देता था ताकि कोई ये न कह सके कि शुक्ला जी बीमार हुए तो अखबार भी बीमार हो गया। जब सर ठीक होकर आते तो बोलते थे कि मनीष अखबार मेरे बीमार रहने पर काफी अच्छा गया लोग बोल रहे थे। तब मैं मन ही मन मुस्कुराता था कि मेहनत सफल हो गयी। आज वो मुझको अकेला करके चले गए। मैं इस दुःख को बयां नही कर सकता। अब परिस्थतियां भी तेजी से बदल रही हैं और सिद्धांतों से समझौता तो मैंने कभी किया ही नहीं। इसलिए निष्पक्ष प्रतिदिन को अलविदा बोलते हुए मेरी ह्रदय से शुभकामनाएं।। ये अखबार खूब तररकी करे… निष्पक्ष प्रतिदिन की खबरों पर आप सबने जो हौसलाअफजाई की वो वाकई मेरी असली कमाई है बस यही आज जाते वक्त दौलत के रूप में साथ भी है। निष्पक्ष प्रतिदिन में रहने के दौरान जिन्होंने मेरा साथ दिया और मुझपर भरोसा जताया उनका मैं जीवन भर ह्रदय से आभारी रहूंगा। साथ ही ये भी आपको विश्वास दिलाता हूँ, खोजी पत्रकारिता की लौ को मैं बुझने नहीं दूंगा। इसलिए इंतज़ार कीजिये जल्द एक नई सुबह रोशनी की किरण लिए आएगी और जरूर आएगी।”

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