एक्सक्लूसिव: इस तरह योग गुरू बाबा रामदेव हो गए एक बड़ी साजिश के शिकार

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बी.के.सिंह/संधीर शर्मा। कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। भारत समेत दुनिया भर के तमाम देशों में इस महामारी की दवा बनाने के लिए प्रयास जारी है। इस बीच योग गुरू बाबा रामदेव ने 23 जून को ‘कोरोनिल’ लांच करते हुए इससे कोविड-19 मरीजों को ठीक करने का दावा करके दुनिया भर को चौका दिया था। इस संबंध में उन्होंने बताया था कि राजस्थान के निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोनिल के क्‍लीनिकल ट्रायल किए जा चुके हैं और इससे शत प्रतिशत कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज ठीक भी हो गये हैं। लेकिन, इसके लांच होते ही देश में विवाद छिड़ गया और केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस मामले की जांच होने तक दवाई की बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। साथ ही उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था। पतंजलि ग्रुप पर इस दवा के नाम पर फ्रॉड करने के आरोप में कई एफआईआर भी दर्ज हुआ। लंबे विवाद के बाद अब पतंजलि की ‘कोरोनिल’ दवा को आयुष मंत्रालय की ओर से बिक्री की अनुमति मिल गई है। पतंजलि अब इस आयुर्वेदिक दवा को ‘इम्युनिटी बूस्टर’ के तौर पर बाजार में बेचेगी। ‘कोरोनिल’ की लांचिंग के बाद इसको लेकर हो रहे दावों और विवादों पर ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने जब गहन पड़ताल शुरू की तो इस दौरान योग गुरू बाबा रामदेव से जुड़े कुछ खास लोगों ने यह दावा किया कि देश के बड़े दवा माफिया और कुछ विरोधियों ने बड़ी साजिश के तहत बाबा रामदेव को शिकार बनाने प्रयास किया है। हमारी टीम यह जानना चाहती थी कि क्या वास्तव में योग गुरू बाबा रामदेव के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रची गई है। इसके लिए ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने सिलसिलेवार तरीके से गहन पड़ताल शुरू किया।

दरअसल 23 जून को ‘कोरोनिल’ लॉन्च करते समय जिस ब्यक्ति की सबसे ज्यादा तारीफें हुईं बाद में उसी ब्यक्ति के बयान ने योग गुरू बाबा रामदेव को सबसे ज्यादा असहज किया। दवा लॉन्च करने के दौरान यह दावा किया गया कि डॉ.बीएस तोमर और उनकी टीम के सहयोग से ही यह संभव हो पाया है। तोमर स्वामी रामदेव के बगल में ही बैठे थे। बीएस तोमर का पूरा नाम बलबीर सिंह तोमर है। ये राजस्थान स्थित निम्स यूनिवर्सिटी के चेयरमैन हैं। बाबा रामदेव की पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसी निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोविड पॉजिटिव रोगियों पर क्लिनिकल ट्रायल किया। ‘कोरोनिल’ के लॉन्चिंग कार्यक्रम में बलबीर सिंह तोमर और उनकी टीम की खूब तारीफें हुईं। ‘कोरोनिल’ के लांच होने के बाद जैसे ही विवाद बढ़ना शुरू हुआ इनकी टीम के एक वरिष्ठ डॉक्टर के हवाले से यह ख़बर सामने आ गई कि ट्रायल में शामिल किए गए मरीजों में ज्यादातर बिना लक्षण वाले या बेहद हल्के लक्षण वाले मरीज थे। इसके साथ ही इस ट्रायल में उन मरीजों को शामिल नहीं किया गया जिन्हें डायबिटीज या ब्लडप्रेशर की शिकायत थी। इसके बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि बलबीर सिंह तोमर अब अपने बयान से पलट गए हैं। उनका कहना है कि उनके अस्पतालों में ऐसी किसी दवा का ट्रायल नहीं हुआ। बाबा रामदेव की ‘कोरोनिल’ के क्लीनिकल ट्रायल करने को लेकर राजस्थान सरकार ने जब निम्स यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा तो यूनिवर्सिटी ने राज्य सरकार को बताया कि 23 मई से लेकर 20 जून तक गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी कोरोना के गैर लक्षण वाले मरीजों को दिया गया था, जिसका उद्देश्य किसी तरह की कोई दवा बनाने या फिर कोरोना के इलाज करने का नहीं था। बाबा रामदेव से जुड़े लोग बताते हैं कि ‘कोरोनिल’ की लॉन्चिग से पहले डॉ.बलबीर सिंह तोमर और उनकी पूरी टीम ट्रायल के दौरान दी गई दवा को बेहद असरदार बता रही थी। 24 जून को निम्स की ओर से कुछ पत्रकारों को यह बताया गया कि ट्रायल के दौरान लोगों को आयुर्वेदिक दवाएं दी गईं और उनमें अधिकांश लोग इस दवा से ही ठीक हुए। हालांकि कुछ समय बाद ही निम्स के चेयरमैन डॉ.बलबीर सिंह तोमर का बयान आ गया कि हमने इसे इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में प्रयोग किया था। ये कोई ईलाज या दवा नही थी। मै नहीं जानता कि बाबा रामदेव ने इसको लेकर कैसे इस तरह का दावा किया है। हालांकि ‘कोरोनिल’ को लेकर जो भी दावे किए गये उसकी पूरी जानकारी तोमर को पहले से थी।

वैसे बलबीर सिंह तोमर का विवादों से पुराना नाता रहा है। कुछ साल पहले बलबीर सिंह तोमर पर निम्स यूनिवर्सिटी में पैसे लेकर दाखिला कराने का आरोप लगा था। उस समय खूब हंगामा मचा था। इसके बाद यूनिवर्सिटी की एक महिला कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीडन की शिकायत को लेकर भी बवाल हुआ था हालांकि यह मामला रफा-दफा हो गया। निम्स की छात्राओं ने तोमर पर बेहद गंभीर आरोप लगाया था इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुआ और तोमर जेल भी गये। यूनिवर्सिटी के हॉस्टल निर्माण को लेकर भी विवाद हुआ था। सरकार ने हॉस्टल गिराने का आदेश तक दे दिया था। एक विवाद उनके बेटे और यूनिवर्सिटी के निदेशक अनुराग तोमर को लेकर भी हुआ जिसमें एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। वर्ष 2015 में निम्स यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने तोमर पर गंभीर आरोप लगाया था। छात्राओं का कहना था कि तोमर मानसिक रोगी हैं। उन्होंने वहां की कई छात्राओं की जिंदगी तबाह कर दी है। तोमर के रसूख की वजह से छात्राएं खुलकर सामने आने से हिचकती हैं। राजनीति में गहरी पैठ होने के कारण कोई उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं पाता। इस मामले में रांची की एक छात्रा की शिकायत पर तोमर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। जांच में शिकायत सही पाये जाने पर तोमर की गिरफ्तारी का आदेश हुआ। न्यायालय से भी गिरफ्तारी का वारंट निकला, लेकिन रांची पुलिस की टीम जब भी जयपुर जाती, तोमर भाग निकलते थे। गिरफ्तारी के डर से तोमर अक्सर विदेश भाग जाया करते थे। यहां तक कि तोमर की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी। इस मामले में बहुत मुश्किल से तोमर की गिरफ्तारी हुई थी। योग गुरू बाबा रामदेव को बेहद पसंद करने वाले लोगों का कहना है कि बलबीर सिंह तोमर जैसे विवादित ब्यक्ति को साथ लेकर ‘कोरोनिल’ दवा लांच करना गलत कदम था। इससे पतंजलि के साथ-साथ योग गुरू बाबा रामदेव की छवि को भी नुकसान हुआ है। हालांकि कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार के डर से बलबीर सिंह तोमर अपने बयान से पलट गये।

पतंजलि ने 23 जून को ‘कोरोनिल’ दवा लॉन्च की थी, 5 घंटे बाद सरकार ने दवा के प्रचार पर रोक लगा दी थी। योगगुरु बाबा रामदेव की ओर से बताया गया कि आयुष मंत्रालय को क्लीनिकल कंट्रोल्ड ट्रायल की सभी पत्रावलियां उपलब्ध करा दी गई हैं। मंत्रालय ने भी यह स्वीकार किया है कि पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ने कोविड के मैनेजमेंट के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित की है। आयुष मंत्रालय और पतंजलि में अब इस विषय पर कोई भी असहमति नहीं है। बाबा रामदेव ने बताया कि आयुष मंत्रालय के निर्देश के अनुसार कोरोनिल टैबलेट, श्वसारि वटी और अणु तेल का स्टेट लाइसेंस अथॉरिटी से निर्माण और वितरण की जो अनुमति पतंजलि को मिली है, उसके अनुरूप दवा का निर्माण और वितरण संपूर्ण भारत में किया जा सकता है। बाबा रामदेव का कहना है कि मामले का पटाक्षेप होने के साथ ही योग, आयुर्वेद से नफरत करने वालों के मंसूबों पर पानी फिर गया है। योग गुरु बाबा रामदेव के मुताबिक कुछ दवा माफिया कोरोना स्‍वसारी से घबरा गए थे और उनके अरबों रुपए के कारोबार की जड़ें पतंजलि की वजह से हिल गई थी। जिसके चलते पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया। 23 जून से लेकर 1 जुलाई तक ‘कोरोनिल’ से जुड़े जो भी अपडेट थे उसको सामने रखकर ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने कई एक्सपर्ट से विस्तृत चर्चा की। इस चर्चा के दौरान लगभग सभी लोगों ने कहा कि योग गुरू बाबा रामदेव का प्रयास सराहनीय है इसकी प्रशंशा होनी चाहिए। एक्सपर्ट का कहना है कि ‘कोरोनिल’ लॉन्च करते समय पतंजलि से बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और निम्स यूनिवर्सिटी के चेयरमेन डॉ. बलवीर सिंह तोमर ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। इस दौरान आचार्य बालकृष्ण ने निम्स के संस्थापक डॉ. तोमर की खूब प्रशंशा की। आचार्य बालकृष्ण ने इसका पूरा श्रेय बलवीर सिंह तोमर और उनकी टीम को ही दिया था। हालांकि पूरे मामले में बलबीर सिंह तोमर की ओर से जिस तरह का बयान सामने आया उससे बाबा रामदेव को सबसे ज्यादा असहज होना पड़ा। ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने इस दौरान जितने लोगों से चर्चा की इसमें अधिकांश लोग योग गुरू बाबा रामदेव के खिलाफ बड़ी साजिश की बात को सच मानते हैं।

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