लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में नेताओं और नौकरशाहों को लाभ पहुंचाने के लिए अफसरों ने हैरान करने वाला कारनामा कर दिखाया था। फिलहाल इन अफसरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और इनका जेल जाना तय माना जा रहा है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद तत्कालीन एमडी हीरालाल यादव, रविकांत सिंह, यूपी सहकारी संस्थागत सेवामण्डल के अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश मिश्रा, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव, एक्सिस डिजिनेट कंप्यूटर एजेंसी के संचालक राम प्रवेश यादव, यूपी सहकारी संस्थागत सेवामण्डल के अधिकारी, कर्मचारी और को-ऑपरेटिव बैंक की प्रबंध समिति व बैंक के अन्य अधिकारियों पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं में FIR दर्ज हुआ है।
दरअसल 2012 से 2017 के बीच हुए को-ऑपरेटिव बैंक में भर्तियों की धांधली की जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद एसआईटी ने की थी। इस जांच में पता चला कि उ.प्र. को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन दो प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव और रविकांत सिंह, उ.प्र. सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ-साथ संबंधित भर्ती कम्प्यूटर एजेंसी मेसर्स एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के अलावा उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड और सहकारी संस्थागत सेवामंडल की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों व कर्मचरियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया था। इनके द्वारा कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों के खिलाफ जाकर शैक्षिक योग्यता में परिवर्तन किया गया। इसके साथ ही राजनीतिक लोगों और अपने करीबियों की ओएमआर सीट में भी हेराफेरी की गई। फिलहाल इस मामले में दो तत्कालीन एमडी समेत 6 के खिलाफ FIR दर्ज हो गया है।