पाकिस्तानी हुक्मरानों के पास देश को बदलने का सुनहरा मौक़ा है। वे चाहें तो आतंकवाद और कठमुल्लों के खिलाफ़ ज़बर्दस्त अभियान चला सकते हैं क्योंकि अब तो वहां का जनमत भी माँग कर रहा है कि पाकिस्तान गर्त में चला जाए इसके पहले आतंकवाद को उखाड़ फेंको। मसूद अज़हर जैसे नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की जा रही है और मीडिया के रवैये को देखकर लगता है कि वहाँ के अवाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की बिगड़ती छवि को लेकर बहुत हैरान-परेशान है। वे ये भी देख रहे हैं कि आतंकवाद तो उन्हें ही नहीं बख्श रहा है। कश्मीर को पाने की चाहत भी उनमें कम हो रही है क्योंकि साफ दिख रहा है कि भारत जैसी सैनिक शक्ति से उसे छीनना नामुमकिन है। ऐसे में पाकिस्तानी शासक जनमत की माँग, इंटरनेशनल दबाव और तबाह होते पाकिस्तान को उबारने का हवाला देकर वह कर सकता है जो आज तक कोई नहीं कर सका। इससे एक नए पाकिस्तान के निर्माण की राह भी खुल जाएगी।
फिलहाल ये खामखयाली और अतिआशावाद लगता है मगर इतिहास कभी-कभी ऐसी मुड़की लेता है कि असंभव सी दिखने वाली चीजें चुटकियों में बदल जाती हैं। क्या पता हम इतिहास के ऐसे ही मोड़ पर खडे होंं। और हां, नवाज़ शरीफ़ और नरेंद्र मोदी के लिए ये नोबल पुरस्कार जीतने का इससे बेहतर वातावरण क्या हो सकता है?
( वरिष्ठ टीवी पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.)