सुब्रत रॉय सहारा ये बड़े शर्म की बात है कि एक तरफ तो आपकी परिंसपत्तियों का ब्यौरा देखकर सुप्रीम कोर्ट तक हैरान है मगर दूसरी ओर आपके कर्मचारी भूखे मर रहे हैं, नंगे होकर प्रदर्शन कर रहे हैं और आत्महत्या तक करने को विवश हो रहे हैं। हो सकता है आपको जेल में ज़्यादा आराम महसूस हो रहा हो और इसीलिए आप बकाया राशि देने में देरी कर रहे हों, मगर आपके कर्मचारियों की ज़रूरतें तो बहुत छोटी हैं, उनके जीवन से क्यों खेल रहे हैं आप? और आपके वे मित्र अखिलेश यादव तथा अमिताभ बच्चन भी कितने निर्लज्ज हैं कि उन्हें अपने स्वार्थों के आगे कुछ और दिख ही नहीं रहा। वे आपके दरबार में हाज़िरी लगाने तो पहुँच जाते हैं मगर लाखों निवेशकों और कर्मचारियों के बारे में जुबान तक नहीं खोलते। धिक्कार है ऐसे स्वार्थीपने को।
( देश के जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.)