बी.के.सिंह। जिस ‘गोरखधंधा’ शब्द का अर्थ आप मिलावट, धोखाधड़ी, छल-कपट के रूप में इस्तेमाल करते हैं वास्तव में वह ‘गोरखधंधा’ एक पवित्र शब्द है और गुरू गोरक्षनाथ (गुरु गोरखनाथ) ने इस शब्द को ईजाद किया था। फिलहाल हरियाणा सरकार ‘गोरखधंधा’ शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुकी है और अब यूपी में भी इस शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज हो रही है। कन्नौज से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने योगी सरकार से मांग की है कि हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश में भी ‘गोरखधंधा’ शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में पत्र लिखा है और कहा है कि इस शब्द से गुरु गोरखनाथ के अनुयायियों की भावनाएं आहत होतीं हैं। भाजपा सांसद सुब्रत पाठक के मुताबिक ‘गोरखधंधा’ एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल गलत प्रथा के लिए किया जाता है। यह शब्द कब गढ़ा गया था, इसकी भी किसी को जानकारी नहीं है। इससे लगता है कि यह शब्द हमारी सनातन संस्कृति और संतों को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा था। भाजपा सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
दरअसल शंकराचार्य के बाद गुरु गोरखनाथ को भारत का सबसे बड़ा संत माना जाता है। गोरखनाथ शरीर और मन के साथ नए-नए प्रयोग करते थे। उन्होंने योग के कई नए आसन विकसित किए थे। उन्होंने कई कठिन आसनों का आविष्कार भी किया। उनके अजूबे आसनों को देख लोग अचम्भित हो जाते थे। ‘गोरखधंधा’ शब्द की उत्पत्ति के बारे में बताया जाता है कि यह गुरु गोरक्षनाथ के कई चमात्कारिक सिद्धियों के कारण प्रयोग में आया। शुरुआत में बहुत जटिल, बहुत उलझे हुए काम को ‘गोरखधंधा’ कहा जाता था। बाद में ‘गोरखधंधा’ शब्द को अज्ञानता वश किसी भी बुरे कार्य जैसे मिलावट, धोखाधड़ी, छल-कपट, भ्रष्टाचार इत्यादि के लिए इस शब्द प्रयोग होने लगा।