एक्सक्लूसिव: यूपी में बिना जमीन के ही चलता है कालेज, सरकारी खजाने से होता है भुगतान

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गोरखपुर। यूपी में शिक्षा माफियाओं और भ्रष्ट अफसरों के गठजोड़ के जिस तरह लगातार कारनामें सामने आ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि बहुत जल्द यूपी का शिक्षा विभाग जालसाजी और भ्रष्टाचार के मामलों में नया किर्तीमान स्थापित करेगा। फिलहाल आज हम एक ऐसा सच जनता के सामने ला रहे हैं जिसे जानने और समझने के बाद आप यह कह सकते हैं कि सरकार की ओर से चाहे जितने दावे किये जाएं लेकिन हकीकत यह है कि शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसना किसी भी सरकार के लिए इतना आसान नहीं है। दरअसल शिक्षा के क्षेत्र में जितने भी फ्राड और भ्रष्टाचार के मामले होते हैं उसके पिछे एक सिस्टम काम करता है और सच यह है कि पर्दे के पीछे से उस सिस्टम को वही अफसर चलाते हैं जिनको पर्दे के आगे से इन सबको रोकने की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में सरकार अगर शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसना चाहती है तो सबसे पहले उन भ्रष्ट अफसरों पर नकेल कसना होगा जो इस धंधे के बड़े लाभार्थी हैं। आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका पूरा सच आपको हैरान कर देगा। इस स्कूल का नाम है, हनुमान इंटर कालेज पड़रौना एवं हनुमान पूर्व माध्यमिक विद्यालय पड़रौना, कुशीनगर। कुशीनगर जिला मुख्यालय पर स्थित इस विद्यालय के प्रबंध तंत्र का करीब-करीब पूरा फर्जीवाड़ा जांच में सामने आ चुका है। राजस्व विभाग की जांच से यह साफ हो गया है कि हनुमान इंटर कालेज एवं हनुमान पूर्व माध्यमिक विद्यालय के नाम से भू-राजस्व अभिलेख में कोई जमीन दर्ज नहीं है। नियम के मुताबिक किसी भी इंटर कालेज की मान्यता के लिए उस कालेज को संचालित करने वाली समिति या फिर उस कालेज के नाम से जमीन होना अनिवार्य है। बिना जमीन के मान्यता मिल ही नहीं सकता। इस स्कूल के प्रधानाचार्य फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे थे उनकी सेवाएं भी समाप्त हो गई हैं। कायदे से तो तमाम फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद इस स्कूल के प्रबंधक और प्रधानाचार्य के खिलाफ FIR दर्ज होना चाहिए था। स्कूल की मान्यता खत्म करके इसकी वित्तीय सहायता तत्काल रूकनी चाहिए थी। लेकिन यह सब तो दूर हालात यह हैं कि शिक्षा विभाग के अफसरों की कृपा दृष्टि से सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा जैसे तमाम महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाएं इस विद्यालय में करवाई जाती हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इसी विद्यालय के आस-पास जिले का सबसे बड़ा और नामी-गिरामी उदित नारायण इंटर कालेज मौजूद है जहां पर 70 कमरे 70 सरकारी अध्यापक और 40 एकड़ का कैम्पस है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इसको योग्य नहीं मानते हैं। जाहिर सी बात है कुछ तो ऐसा होगा हनुमान इंटर कालेज में जिसके चलते सब कुछ जानते हुए भी शिक्षा विभाग के अफसर सभी महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षायें इस विद्यालय में करवाते हैं। फिलहाल इसका खुलासा अलग से किया जायेगा।

आइये अब हम आपको सिलसिलेवार तरीके से हनुमान इंटर कालेज एवं हनुमान पूर्व माध्यमिक विद्यालय पड़रौना, कुशीनगर के फर्जीवाड़े को समझाते हैं। दरअसल इस विद्यालय का संचालन हनुमान शिक्षा समिति पड़रौना द्वारा किया जाता है। ‘ख़बर अब तक’ के पास जो साक्ष्य मौजूद हैं उसके मुताबिक फरवरी 2017 में राजस्व विभाग की ओर से कराई गई जांच में यह साफ हो गया है कि पड़रौना शहर स्थित जिस जमीन पर हनुमान इंटर कालेज एवं हनुमान लघु माध्यमिक विद्यालय चल रहा है वास्तव में वह जमीन किसी और के नाम दर्ज है। राजस्व विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस विद्यालय के नाम से राजस्व अभिलेख में कोई भूमि दर्ज नहीं है। इस जांच रिपोर्ट से यह साफ हो जाता है कि विद्यालय की मान्यता के समय प्रबंधन द्वारा शिक्षा विभाग के समक्ष जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गये वे फर्जी और गुमराह करने वाले थे। अफसरों से गुहार लगाते-लगाते थक हार कर पड़रौना के विरेन्द्र तिवारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस विद्यालय के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र शुक्ला के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर किया। इस याचिका के माध्यम से प्रधानाचार्य पर यह आरोप लगा कि बिना योग्यता के फर्जी तरीके से शैलेन्द्र शुक्ला प्रधानाचार्य बने हुए हैं। जांच में आरोप सही पाये जाने के बाद इस विद्यालय के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र शुक्ला की सेवाएं सितंबर 2018 में समाप्त कर दी गई। सेवा समाप्त होने के करीब एक माह पहले शैलेन्द्र शुक्ला ने विद्यालय के प्रबंधक मनोज शर्मा के साथ मिलकर अगस्त 2018 में हनुमान इंटर कालेज की फीस के पैसे वाले यूनियन बैंक के खाते से विद्यालय के पास अन्य जमीन अपने नाम रजिस्ट्री करा लिया। इसके लिए विद्यालय के यूनियन बैंक के खाते से तीन बार में 13 लाख 95 हजार रूपये निकाले गये। इसमें से 7 लाख रूपये जमीन के मालिक को दिया गया और 6 लाख 42 हजार रूपये का स्टांप खरीदा गया तथा बाकी रूपये को जमीन के रजिस्ट्री के दौरान अन्य खर्च में दिखाया गया। यानि कि यहां भी नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए विद्यालय के पैसे से प्रबंधक और प्रधानाचार्य ने अपने नाम जमीन रजिस्ट्री करा लिया। नियम के मुताबिक किसी भी इंटर कालेज की मान्यता के लिए उस कालेज को संचालित करने वाली समिति या फिर उस कालेज के नाम से जमीन होना अनिवार्य है। बिना जमीन के मान्यता मिल ही नहीं सकता। ऐसे में यह सवाल उठने लगा कि हनुमान इंटर कालेज को बिना जमीन के मान्यता कैसे मिल गया। धीरे-धीर यह फर्जीवाड़ा शहर में चर्चा का विषय बनने लगा। कई लोगों ने इस मामले में जिले के अधिकारियों से लेकर शासन तक शिकायत की लेकिन सत्ता में मजबूत पकड़ के चलते इनके खिलाफ सिर्फ जांच होने की खानापूर्ति होती रही। थक-हार कर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष निशांत शुक्ला ने विद्यालय के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ हाईकोर्ट का रूख किया। मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद भी इसे दबाने की पुरजोर कोशिश हो रही है। इस पूरे प्रकरण से यह साफ है कि यूपी के शिक्षा विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच बिना कोर्ट गये नहीं हो सकता। और यह संभव नहीं है कि हर मामले में शिकायत करने वाला ब्यक्ति कोर्ट पहुंचे। अगर वास्तव में यूपी सरकार शिक्षा माफियाओं और भ्रष्ट अफसरों पर नकेल कसना चाहती है तो इस तरह के मामलों में लिप्त अधिकारियों के साथ ही उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो अपने ब्यक्तिगत लाभ के लिए सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं।

फिलहाल आगे हमारा यह प्रयास रहेगा कि इस पूरे प्रकरण में विद्यालय प्रबंधक, सेवा से हटाये गये प्रधानाचार्य एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का पक्ष भी प्रकाशित किया जाए। उनका पक्ष मिलने के बाद उसे भी प्रकाशित किया जायेगा। अगर आप इस ख़बर से संबंधित कोई सुझाव हमें भेजना चाहते है तो अपने सुझाव bksinghup@gmail.com पर ई-मेल करें।

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