बी.के.सिंह। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में स्थित बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए ‘बाल संहार’ पर ‘ख़बर अब तक’ आज एक तहलका मचाना वाला खुलासा करने जा रहा है। दरअसल ‘ख़बर अब तक’ के खोजी पत्रकारों की टीम ने 11 और 12 अगस्त 2017 को अपने खुफिया कैमरे में जो घटनाक्रम कैद किया उसे जानकर देश का हर आदमी सन्न रह जायेगा। सबसे पहले 11 अगस्त 2017 को हमारी टीम बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंची। करीब 23 घंटे की गहन पड़ताल के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि गोेरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज का ‘बाल संहार’ एक बहुत बड़ी साजिश का नतीजा हो सकता हैै। दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के प्रति गजब का विश्वास है लोगों में। पूर्वांचल के लोगों के लिए योगी आदित्यनाथ ना ही गोरखपुर के सांसद हैं और ना ही यूपी के मुख्यमंत्री हैं। यहां के लोग तो योगी आदित्यनाथ को भगवान मानते हैं। 11 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज कैंपस में हर तरफ सिर्फ एक ही चर्चा था “यहां बहुत बड़ी साजिश हुई है।” हमारी टीम के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती थी कि आखिर कैसी साजिश हुई है यहां.. और कौन लोग हैं जिन्होने इस साजिश को अंजाम दिया है। लोग यह भी कह रहे थे कि योगी जी छोड़ेगें नहीं उनको, कहीं-कहीं तो यह भी कहा जा रहा था कि सरकार भले ही छोड़ दे इनको लेकिन भगवान इन्हे जरूर सजा देगें।
इस पूरे मामले को समझने के लिए सबसे पहले आपको बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बारे में समझना होगा। दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिदार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बलिया के अलावा बिहार और नेपाल से बड़ी संख्या में मरीज ईलाज हेतु बीआरडी मेडिकल कालेज आते हैं। ‘ख़बर अब तक’ के पड़ताल में यह पता चला है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज से जुड़े डॉक्टर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले जमकर लूटपाट करते थे। बीआरडी मेडिकल कालेज के हालात तो ये थे कि यहां के डॉक्टर खुलेआम अपने सरकारी आवास पर मोटी फीस लेकर मरीज देखते थे। इसके अलावा यहां के कई बड़े डॉक्टरों द्वारा कमीशन लेकर बड़े पैमाने पर मरीजों को गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक के प्राइवेट अस्पतालों में शिफ्ट किया जाता था। ‘ख़बर अब तक’ के गहन पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मेडिकल कॉलेज से जुड़े करीब आधा दर्जन बड़े डॉक्टरों के अपने निजी अस्पताल गोरखपुर में हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस मेडिकल कालेज के सबसे बड़े जिम्मेदार खुद दवाओं की खरीद में हेराफेरी तथा कमीशन से लेकर नियुक्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे संगीन आरोपों से घिरे हुए हैं। बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले बीआरडी मेडिकल कालेज डॉ0 राजीव मिश्र के सरकारी आवास से चलता था। इस मेडिकल कालेज में संविदा कर्मियों की नियुक्ति से लेकर तमाम बड़े-छोटे फैसले डॉ0 राजीव मिश्र के आवास से ही लिए जाते थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज में ऐतिहासिक सुधार हो रहा था। यहां तैनात कुछ कर्मचारियों का दावा है कि पिछले 15 वर्षों में तमाम कोशिशों के बाद जो काम पिछली सरकारें नहीं कर पाईं उसको योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही महीनों में कर दिखाया। मेडिकल कालेज से जुड़े कुछ लोगों को अंदेशा है कि इस घटना के पीछे गहरी साजिश हो सकती है।
‘ख़बर अब तक’ के पड़ताल में यह बात सामने आई है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज में तैनात डॉक्टरों ने अपने आवास पर मरीज देखना बंद कर दिया। बड़े पैमाने पर प्राइवेट अस्ततालों में सिफ्टिंग का धंधा भी बंद हो गया। जिनके अपने प्राइवेट हास्पीटल गोरखपुर में हैं उनके संचालन में बाधा उत्पन्न हो गई। जिन लोगों ने पिछली सरकार में जमकर लूट-खसोट किया था उनके कारनामें मुख्यमंत्री तक पहुंचने लगे। बीआरडी मेडिकल कालेज में हालात ये हो गये थे कि जो लोग अपने सरकारी आवास या निजी हास्पीटल में फीस लेकर मरीजों को दर्शन देते थे वे अब जनरल वार्ड तक के चक्कर काटने लगे। जूनियर डाक्टर और स्टाफ नर्सों को पहले यह मालूम ही नहीं होता था कि 8 घंटे कैसे मजे में बीत गए उनके लिए 8 घंटे कड़ी मशक्कत वाला हो गया। पहले मरीजों के तीमारदारों को हड़काया जाता था उनसे रूपये ऐठें जाते थे और कभी किसी ने सवाल जबाब किया तो उसे कूट दिया जाता था लेकिन अब मरीज के तीमारदार सवाल पे सवाल कर रहे थे रौब भी दिखा रहे थे कि मुख्यमंत्री से शिकायत कर दूंगा। जिन लोगों ने सरकारी ब्यवस्था से तौबा कर लिया था उनको भी इस ब्यवस्था पर विश्वास होने लगा था। बीआरडी मेडिकल कालेज में मरीजों की संख्या बढ़ रही थी और यहां तैनात लोगों का इनकम घट रहा था। इस बीच बीआरडी मेडिकल कालेज से आई एक ख़बर ने पूरे देश में तूफान मचा दिया। वैसे तो बीआरडी मेडिकल कालेज में हर साल इन महीनों में मौतों का आकड़ा बढ़ जाता है लेकिन वास्तव में यह मौतें पिछले सालों की तरह वाली नहीं हैं। इस घटना के सैकड़ों चश्मदीद हैं जिनके सामने उनके परिवार के एक मासूम ने दम तोड़ दिया। अब हालात यह हैं कि लोग कह रहे हैं बहुत बड़ी गलती हो गई जिंदगी में कभी सरकारी अस्पताल में नहीं आउंगा। कई लोगों को ‘ख़बर अब तक’ के खुफिया कैमरे में यहां तक कहते हुए कैद किया गया है कि खेत बेच देगें, कर्जा लेगें, घर बेचकर प्राइवेट अस्पताल में ईलाज करवायेगें लेकिन यहां नहीं आयेगें।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या योगीराज में हो रहे इस बदलाव से भयभीत होकर एक साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया। ‘ख़बर अब तक’ के खोजी पत्रकारों की टीम ने 11 और 12 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज कैंपस में तमाम छोटी-छोटी बातचीत अपने खुफिया कैमरे में कैद की। हम अपने पत्रकारों से बातचीत और उन तमाम वीडियो रिकार्डिंग को देखने के बाद यह दावा कर सकते हैं कि बीआरडी मेडिकल कालेज में हुआ ‘बाल संहार’ एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है जिसका जांच किया जाना बेहद आवश्यक है। ‘ख़बर अब तक’ के पास जो भी वीडियो मौजूद है मामले की गंभीरता को देखते हुए हम उसे जारी नहीं कर रहे हैं। क्योंकि इस वीडियो में कई ऐसे लोग हैं जिनके परिवार का सदस्य इस समय बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती है। हो सकता है कि इस वीडियो के सामने आने के बाद उनके इलाज में कोई दिक्कत आ जाए या इस तरह का भ्रम फैला दिया जाए कि मरीज को नुकसान पहुंचाया गया है।
मीडिया के हीरो डॉ कफील का सच
बीआरडी मेडिकल कालेज के जिस वार्ड में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं उसके इंचार्ज डॉ कफील अहमद का सच जानने के लिए ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने कड़ी मशक्कत की। आखिरकार डॉ कफील अहमद का सच भी हमारे सामने आ गया। बीआरडी मेडिकल कालेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफ़ील अहमद गोरखपुर में मेडिस्प्रिंग हास्पीटल एंड रिसर्च सेंटर चलाते हैं। हमारे पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मीडिया में डॉ कफील को जिस तरह मसीहा के रूप में पेश किया जा रहा है उसके पीछे भी कोई रहस्य हो सकता है। यह बात सही है कि डॉ कफील बहुत मेहनती इंसान हैं लेकिन यह भी सही है कि इस पूरे मामले में कफील की भूमिका भी संदिग्ध है। फिलहाल मीडिया के हीरो डॉ कफील से जुड़ा एक स्टिंग ऑपरेशन देखिए…
https://youtu.be/gDAWXjME7N0