गोरखपुर। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हालात बिगडने पर सिलेंडरों की कथित व्यवस्था कर मीडिया में हीरो बने डॉ. कफील को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया में डॉ कफील के समाजवादी कनेक्शन को लेकर खूब हंगामा मचा हुआ है। हालांकि डॉ कफील के समर्थक तमाम तर्कों के साथ यह दावा कर रहे हैं कि डॉ कफील के समाजवादी कनेक्शन की बात पूरी तरह गलत है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए ‘बाल संहार’ में मीडिया के हीरो बने डॉ कफील के समाजवादी कनेक्शन की ‘ख़बर अब तक’ ने पूरी पड़ताल की है। हमारे पड़ताल में यह बात सामने आई है कि डॉ कफील को बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में प्रवक्ता बनाने में अहम रोल उनके भाई कासिफ जमाल का था। समाजवादी पार्टी में कासिफ जमाल का गजब का रूतबा था। कहने के लिए कासिफ समाजवार्टी में छोटा-मोटा नेता था लेकिन इसका रूतबा यह था कि यह हमेशा लालबत्ती लगी फार्च्यूनर गाड़ी से घूमता था। कासिफ के बारे में यह भी जानकारी सामने आई है कि इसका संबंध बच्चों के एडमिशन गिरोह से था। कासिफ अपने आप को यूपी सरकार के एक ताकतवर मंत्री का रिश्तेदार बताकर रौब गाठता था। गोंडा के नबाबगंज कोतवाली में दर्ज एक मामले के सामने आने के बाद डॉ कफील के भाई कासिफ का पूरा सच बाहर आ गया है।
बताया जाता है कि ब्लाक प्रमुख चुनाव को लेकर गोंडा पुलिस 7 फरवरी 2016 की दोपहर हाईवे पर वाहनों की चेकिंग कर रही थी। लखनऊ की तरफ से आ रही लालबत्ती लगी फार्च्यूनर को रोक कर तलाशी ली गई तो उसमें सवार दो युवकों के पास से 1.80 लाख रुपये और बच्चों के एडमीशन से संबंधित कागजात, फोटो मिले। पूछताछ में युवकों की पहचान राजघाट, बसंतपुर के कासिफ जमाल और अलहदादपुर के मोहम्मद असद के रूप में हुई। पुलिस की पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह लखनऊ से गोरखपुर जा रहे हैं। खुद को मंत्री का रिश्तेदार बताकर कासिफ ने पुलिसकर्मियों पर रौब दिखाने का प्रयास किया। तो दूसरे ने खुद को गोरखपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का पति बताया। तस्दीक करने पर मामला झूठा निकला। एसपी के निर्देश पर नवाबगंज कोतवाली पुलिस ने दोनों के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज कर रुपये और कागजात कब्जे में ले लिया। बताया जाता है कि इस मामले में डॉ कफिल के भाई कासिफ को बचाने के लिए तमाम तरह की कहानियां गढ़ी गईं।
कासिफ ने अपने वर्चस्व से डॉ कफील को बनवाया बीआरडी में बाल रोग विभाग का अधीक्षक
28 अप्रैल 2016 को हुए साक्षात्कार के आधार पर डॉ कफील को एन0आर0एच0एम0 के अर्न्तगत बाल रोग विभाग का सहायक आचार्य एवं अधीक्षक नियुक्त किया गया। बताया जाता है कि डॉ कफील के इस नियुक्ति में कासिफ जमाल का बड़ा रोल था।
बताया जाता है कि कासिफ जमाल के वर्चस्व के चलते ही डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ राजीव मिश्रा के बेहद करीबी हो गए। बीआरडी मेडिकल कालेज में संविदाकर्मी होने के बावजूद डॉ कफील का खूब जलवा था। कहा जा रहा है कि कासिफ जमाल के प्रयास से ही डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कालेज में स्थायी नियुक्ति पाने में सफल हुए।
कासिफ और कफील दोनो फंसे थे रेप केस में..
‘ख़बर अब तक’ के पड़ताल में यह भी बात सामने आई है कि 15 मार्च 2015 को जिस रेप केस में डॉ कफील फंसे थे उसमें उनके भाई कासिफ भी अभियुक्त थे। कासिफ के ही कहने पर पीड़ित महिला डॉ कफील के हास्पीटल में नौकरी के लिए गई थी।
‘ख़बर अब तक’ के एक स्टिंग ने डॉ कफिल खान को बनाया हीरो से जीरो
बच्चों की तथाकथित रूप से जान बचाने के लिए मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया में डॉ कफील का खूब महिमामंडन हो रहा था। इस बीच ‘ख़बर अब तक’ के एक स्टिंग ने इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
https://youtu.be/gDAWXjME7N0