बड़ा सवालः अखिलेश राज में हुए पापों पर योगीराज में पर्दा क्यों?

बी.के. सिंह। घपले-घोटाले के लिए मशहूर अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार में हुए पापों पर कुछ अधिकारियों द्वारा योगीराज में पर्दा डालने के प्रयास ने सबको हैरत में डाल दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह प्रयास प्रदेश के बेहद ईमानदार और तेज तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद से जुड़ा होने के बाद भी किया जा रहा है। हालांकि ‘ख़बर अब तक’ से बातचीत में भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने साफ कर दिया है कि योगीराज में कोई भी भ्रष्टाचारी बच नहीं पायेगा। भ्रष्टाचारियों से किसी भी तरह की नरमी नहीं दिखाई जाएगी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

D.S. upadhyaygdaदरअसल गोरखपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष डी.एस. उपाध्याय ने अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए शासन द्वारा बनाए गए नियम को बदल कर प्राधिकरण को भारी क्षति पहुंचाया था। बताया जाता है कि डी.एस. उपाध्याय को गोरखपुर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाने के लिए इन ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर धन खर्च किया था और उसके एवज में डी.एस. उपाध्याय ने अपने कार्यकाल में हुई निविदाओं के लिए गैर कानूनी तरीके से नियमों में संसोधन कर इन ठेकदारों को लाभ पहुंचाया। जानकार बताते हैं कि नियमों के मुताबिक 3 करोड़ तक के ठेके प्राधिकरण में पंजीकृत ठेकदारों द्वारा प्रतिभाग किया जाता है लेकिन 3 करोड़ से ऊपर के ठेकों के लिए ओपन टेंडर प्रक्रिया का पालन करना होता है जिसमें प्राधिकरण सहित अन्य विभागों में पंजीकृत ठेकेदार जो निविदा शर्तों को पूरा करते हो प्रतिभाग कर सकते हैं। ‘ख़बर अब तक’ के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि डी.एस. उपाध्याय ने अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए इस नियम को अपने स्तर से बदल कर 3 करोड़ के लिमिट को बढ़ाकर 50 करोड़ कर दिया। अब बड़ा सवाल यह है कि यदि महंगाई के चलते यह लिमिट बढ़ाया गया तो सिर्फ श्रेणी “ए” वाले ठेकेदारों का ही लिमिट क्यों बढ़ाया गया। श्रेणी बी, सी, डी और ई का लिमिट क्यों नहीं बढ़ाया गया। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि प्राधिकरण द्वारा लोहिया फेज-2 में कुल सात कार्यों हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी जिसमें से 4 कार्यों हेतु निविदा प्राप्त हुई शेष 3 कार्यों हेतु एकल निविदा प्राप्त हुई। 4 कार्यों हेतु प्राप्त निविदाओं में दो उच्च निविदा प्राप्त हुई और दो निम्न निविदा प्राप्त हुई लेकिन डी.एस. उपाध्याय ने निम्न निविदा पर विचार न करते हुए उच्च निविदा को स्वीकृत कर लिया। जबकि नियम के मुताबिक पहले निम्न निविदा पर विचार किया जाना चाहिए था।

इस मामले में 19 सितंबर 2016 को कांग्रेस प्रवक्ता और विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक पत्र लिखकर डी.एस. उपाध्याय के इन कारनामों की जांच कराकर सख्त कार्यवाही की मांग की थी। शासन के निर्देश के बाद 8 दिसम्बर 2016 को मंडलायुक्त गोरखपुर ने जिलाधिकारी गोरखपुर को डी.एस. उपाध्याय के कार्यकाल में की गई अनियमितताओं की जांच के लिए जांच अधिकारी नामित किया। 15 दिसम्बर 2016 को इस प्रकरण की जांच के लिए जिलाधिकारी गोरखपुर की ओर से मुख्य विकास अधिकारी गोरखपुर की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई। इस टीम में मुख्य विकास अधिकारी गोरखपुर के अलावा मुख्य कोषाधिकारी गोरखपुर और अधिशासी अभियन्ता प्रान्तीय खंड लोक निर्माण विभाग गोरखपुर को भी शामिल किया गया। जिलाधिकारी की ओर से मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित टीम को यह निर्देश दिया गया कि 15 दिन के अंदर इस मामले की जांच कर जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। सूत्रों का कहना है कि 6 माह बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों घपले-घोटाले के लिए मशहूर अखिलेश यादव की समाजवादी सरकार में हुए पापों पर योगीराज में पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है।

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इस पूरे प्रकरण में जब भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी से बातचीत किया गया तो उनका साफतौर पर यह कहना था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में कोई भी भ्रष्टाचारी बच नहीं पायेगा। भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाले और बचाने का प्रयास करने वालों पर भी कार्रवाई की जायेगी। शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि आपके माध्यम से इस मामले की जानकारी हुई है। मामला गंभीर है इसकी जानकारी हासिल कर तत्काल इस मामले में उचित कार्यवाही करवाई जायेगी।

 

 

akhilesh pratap singh‘ख़बर अब तक’ से बातचीत में कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह प्रकरण उनके संज्ञान में आया था जिसके बाद मैने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी। उस समय जांच शुरू भी हो गया था लेकिन यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद से जुड़े इतने गंभीर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देना यह दर्शाता है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के प्रति कितनी सख्त है।

 

 

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