ये है हमारा लोकतंत्र और उसको चलाने वालों का चरित्र

झूठ के पंख तो होते हैं पर पैर नहीं होते।
पहले प्रचारित किया सौ आतंकवादी मार गिराए। लेकिन सचाई निकली सात के मरने की।
कहा म्याँमार में घुसकर मारा। म्याँमार ने खंडन कर दिया।
कहा पहली बार ऐसा हुआ है। लेकिन इसके पहले इस तरह के कई ऑपरेशन हो चुके हैं।
अपनी तो भद्द पिटवाई ही, सेना को भी जगहँसाई का पात्र बना दिया।
अब लाज बचाने के लिए और हमलों की योजनाएं बनाई जाएगी। युद्धोन्मादी गरजेंगे, फासीवादी हिंसा की भाषा में नफरत फैलाएंगे। असली सवाल दबा दिए जाएंगे।
ये है हमारा लोकतंत्र और उसको चलाने वालों का चरित्र।

( देश के जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.)

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