Devraha Baba : कहानी देवरहा बाबा की, एक ऐसे महान संत जिनके दर्शन के लिए नामचीन हस्तियां भी रहती थीं लालायित



कनकलता सिंह। एक ऐसे दिव्य संत, सिद्ध पुरुष, कर्मयोगी जिनके दर्शन के लिए नामचीन हस्तियां भी लालायित रहती थीं आज हम उनसे ही जुड़ी कहानी आपको बताने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के सिद्ध महायोगी देवरहा बाबा ( Devraha Baba ) का आशीर्वाद पाने के लिए देश-दुनिया के लोग उनके आश्रम पर आते थे। देवरहा बाबा ( Devraha Baba ) ने कभी भी अपनी उम्र, तप, शक्ति व सिद्धि के बारे में कोई दावा नहीं किया। ऐसा कहा जाता है कि वे बिना पूछे ही सब कुछ जान लेते थे। देवरहा बाबा ( Devraha Baba ) को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने 500 वर्ष से भी ज्यादा समय तक जीवित रहने का रिकॉर्ड बनाया है और उन्हें कई तरह की सिद्धियां भी प्राप्त थी। बाबा का जन्म कब, कहां और कैसे हुआ इसका पता आजतक नहीं चल सका। बाबा के चमत्कारों को लेकर अनेकों कहानियां लोग बताते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाबा भगवान श्री राम के भक्त थे और श्री कृष्ण को भी श्रीराम के समान ही मानते थे और भक्तों को कष्टों से मुक्ति के लिए इन्हीं के मंत्र देते थे।

देवरहा बाबा के बारे में दावा किया जाता है कि उन्होने जो भी भविष्यवाणी की वह सच साबित हुआ है। देवरहा बाबा ने 1990 में अपने देहांत से पहले एक ऐसी भविष्यवाणी की थी जो आज सच हो रही है। देवरहा बाबा ने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर पर भविष्यवाणी की थी जो सच साबित हो रहा है। देवरहा बाबा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि राम मंदिर जरूर बनेगा और ये सभी की सहमति से बनेगा। ऐसा दावा किया जाता है कि देवरहा बाबा से परामर्श के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सन् 1989 में विश्व हिंदू परिषद को अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के शिलान्यास की अनुमति दी थी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि देवरहा बाबा का निधन जब हुआ था, तब लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा शुरू भी नहीं हुई थी। लेकिन, अपने निधन और लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से पहले ही बाबा ने कह दिया था कि राम मंदिर जरूर बनेगा और सभी की सहमति से बनेगा।

देवरहा बाबा ने कभी भी अपनी उम्र, तप, शक्ति व सिद्धि के बारे में कोई दावा नहीं किया। लेकिन उनके इर्द-गिर्द रहने वाले लोग हमेशा चमत्कार महसूस करते थे। लोग बताते हैं कि उनकी सबसे बड़ी खूबी होती थी कि वे बिना बताये लोगों के मन की बात जान लेते थे। देवरहा बाबा सरयू नदी के किनारे बने आश्रम में लकड़ी के एक मचान पर बैठे रहते थे और यहीं वे अपने भक्तों को दर्शन देते थे। कहा जाता है कि बरसात के दिनों में सरयू नदी की बाढ़ का पानी उनके मचान को छुने के बाद घटने लगती थी। देवरहा बाबा के दर्शन के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से लोग पहुंचते थे। बाबा के भक्तों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, अटल बिहारी वाजपेयी, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, मुलायम सिंह यादव, जगन्नाथ मिश्र जैसे देश के दिग्गज राजनेता शामिल थे।

बताया जाता है कि बाबा जानवरों की भाषा भी समझते थे और इस चमत्कार से वे खतरनाक जंगली जानवरों को पलभर में काबू कर लेते थे। बाबा के भक्त यह दावा करते हैं कि उन्हे जल पर चलने की सिद्धि प्राप्त थी। बाबा ने किसी भी गंतव्य स्थल पर पहुंचने के लिए कभी सवारी नहीं की। वे हर साल माघ मेले में प्रयागराज जाते थे। यमुना किनारे वृंदावन में बाबा आधे घंटे तक बिना सांस लिए ही पानी में रहते थे। कहा जाता है कि सरयू के दियारा क्षेत्र में होने के कारण ही बाबा का नाम ‘देवरहा बाबा’ पड़ा। बाबा के भक्त बताते हैं कि जीवन में कभी भी उन्होने अन्न नहीं खाया। वे केवल दूध, शहद और फलाहार लिया करते थे। बाबा ने अंतिम सांस 19 जून 1990 को ली थी। यह योगिनी एकादशी का दिन था। हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी को बेहद उत्तम माना गया हैै। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सरयू नदी के किनारे देवसिया गांव में देवरहा बाबा का आश्रम है।

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