लखनऊ। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवर को देखकर यूपी के तथा कथित साफ सुथरी छवि वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी नेता और नौकरशाह इस समय दहशत में है। बताया जा रहा है कि दोनों हाथों से जमकर यूपी को लूटने वाले इन नेताओं और नौकरशाहों का ब्लड प्रेशर इस समय बढ़ गया है। अखिलेश यादव के बेहद करीबी सपा विधायक बुक्कल नबाब के बारे में तो यहां तक कहा जा रहा है कि जेल जाने के डर से इन्होने अब टीवी पर दहाड़ना छोड़ दिया है। बुक्कल नबाब ने गोमती नदी के किनारे की जलमग्न जमीन को अपना बताकर फर्जी पेपर्स के जरिए करोड़ों का मुआवजा लिया है। इसमें मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने बिना किसी जांच के पेमेन्ट कर दिया।
बताया जा रहा है कि गोमती नदी के किनारे विकास कार्य शुरू होने पर सरकार ने जब भूमि अधिग्रहण किया, तो बुक्कल नवाब ने गोमती के जलमग्न जमीन को भी अपना बताते हुए मुआवजे का दावा किया था। इस पर शासन ने इस जमीन की जांच कराये बिना ही उन्हें आठ करोड रु. से भी अधिक का मुआवजा दे दिया। 2015 में गोमती के पानी में डूबी हुई जमीन पर दुबारा काम शुरू हुआ। इस पर बुक्कल नवाब ने फिर दावा किया, तो उन्हें पुनः मुआवजा देने की तैयारी शुरू कर दी गयी। इसके विरुद्ध हाइकोर्ट में दायर याचिका के बाद कोर्ट ने अखिलेश सरकार को आदेश दिया कि वह अक्टूबर, 2016 में उच्चस्तरीय समिति बनाकर तीन महीने के अंदर ही अपनी रिपोर्ट दे। लेकिन, सरकार ने कोर्ट के इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। कोर्ट के सख्त तेवर के बाद कमेटी बनवाकर जब जांच करवाई गई तो पता चला कि जिन दस्तावेजों के आधार पर बुक्कल नवाब ने मुआवजे के लिये अपना दावा जताया था, वह दस्तावेज फर्जी हैं। कई जगह राजस्व विभाग के रिकार्डं में भी बदलाव किये गये हैं। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1920 में ही जिस भूमि को लखनऊ नगर निगम ने अपने अधिग्रहण में ले लिया था, उसे निजी भूमि बताते हुए फिर से अधिग्रहित करवा लिया गया और करोडों रु उसका मुआवजा भी दिलवाया गया।