जिस तरह से हर सही गलत कार्य का आंख मूंद कर समर्थन करना भक्ति है उसी तरह केवल विरोध के लिए विरोध करना भी एक तरह की भक्ति है।
लखनऊ में पुलिस द्वारा एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या को ‘एनकाउन्टर’ जैसा प्रचारित करके सरकार की लानत-मलानत करने वाले लोग इस मामले को दूसरी तरफ ले जाना चाह रहे हैं। ऐसा सीन क्रिएट किया जा रहा है जैसे यह हत्या सरकार ने करवाया हो।
आक्रोशित करने वाली इस दुखद घटना के बाद सरकार का ऐक्शन देखें- घटना के तुरंत बाद दोनों सिपाही निलंबित फिर गिरफ्तार कर लिए गए, हत्या का मुकदमा दर्ज हो गया और फिर दोनो को बर्खास्त कर दिया गया। सरकार ने हर वह ऐक्शन लिया जो किसी बड़ी घटना के बाद लिया जाना चाहिए।
इस घटना से एक बार फिर पुलिस का बर्बर और क्रूर चेहरा हमारे सामने आया है, विवेक के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए लेकिन इस घटना के लिए सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराना अनुचित है।
(दैनिक जागरण के गोरखपुर संस्करण में ‘चीफ सब एडीटर’ के पद पर तैनात प्रदीप श्रीवास्तव के एफबी वॉल से)