ना-ना ये मत सोचिएगा की मैं हिन्दू सेना, आरएसएस या bjp के कार्यकर्ता की तरह बात कर रहा हूँ। हां ये मान सकता हूँ कि पेशे यानी सच को उजागर करने का जूनून जीवन को प्रभावित करने लगा है। ऐसा मैं इसलिए दावे से कह सकता हूँ क्योंकि चिकित्सा क्षेत्र के घोटालों को उजागर करते करते मुझे इसकी बारीकियां समझ मे आने लगी हैं। बिहार के स्वास्थ्य विभाग में गत 6 साल में जितने भी घोटालों से पर्दा उठा उसमें मेरी भूमिका हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक में दायर याचिकाओं में लगी मेरी खबरों की कटिंग करती हैं।
योगी की ओर से बोलने की जरूरत क्यों पड़ी? एक पुरानी मान्यता है कि पिछले जन्म में जो सर्वाधिक पुण्यकर्म करता है, वह योगी बनता है। जो उसकी तुलना में बहुत कम पुण्य अर्जित करता है वह राजा या राजनेता बन जाता है। योगी निश्छल होता है, वह राजनेता से लाख गुना ज्यादा साफ दिल और उत्कृष्ट इंसान होता है पर कूटनीतिज्ञों की तरह शब्द तौल कर नही बोलता। हर सच्चा इंसान रोज़ ऐसी कई बातें बोल जाता है, जिन्हें संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति बोल दे तो बवाल तय है। विरोध किया भी जाना चाहिए लेकिन ध्यान रखना होगा कि सत्तासीन व्यक्ति योगी है, कूटनीति एवं कमीनापन की बचपन से घुट्टी पिये कोई राजनेता।
फिर गोरखपुर में बच्चों की मौत। ऑक्सीजन नही होने से aes पीड़ित बच्चों की मौत। जांच कार्रवाई हो रही है। इस बीच kgmu के एक प्रोफेसर डॉ खरे ने तमाम आरोप लगाए पर किसी का नाम नही खोला। यदि आप आरोप लगा रहे हैं तो, उन्हें साबित करना भी आपका काम है। खुलासे भी कैसे, जिन बातों को मेडिकल का नया रिपोर्टर तक जानता है। उन्हें वे खुलासे बता रहे है। कौन से खुलासे, डॉक्टर सरकार से वेतन लेकर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे बाहर की दवा लिख मोटा कमीशान लेते हैं। सरकारी हॉस्पिटल आने वाले मरीज़ को निजी को बेच दिया जाता है। इनमे से कौन सा विषय है जो अरसे से आमजन नही जानता। फिर हंगामा क्यों।
योगी के पास बहुत से ऐसे गुण हैं जो गैर ही नही अपने मंत्रियों तक के लिए दुर्गुण हैं । योगी परिपक्व राजनेता नही है। लेकिन सवाल ये है कि हमे पॉलिटिशियन चाहिए क्यों? योगी के पास सरकार चलाने का अनुभव भले नही हो कुछ कर गुजरने का जज्बा दिखता है। हमें उन्हे काम करने देना चाहिए। ऐसा मुझे लगता है।
(दैनिक जागरण के पत्रकार पवन मिश्रा के एफबी वॉल से साभार)