नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पोल खोलने वाला पाकिस्तानी पत्रकार सिरिल अल्मीडा दहशत में है। अल्मीडा के करीबियों को उनके सुरक्षा का डर सता रहा है। सिरिल अल्मीडा को ‘एग्जिट कंट्रोल लिस्ट’ में रखा गया है। इस सूची में नाम आने के बाद अल्मीडा देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकते हैं। सिरिल अल्मीडा कराची से प्रकाशित ‘डॉन’ अखबार में असिस्टेंट एडिटर हैं। इससे पहले वर्ष 2014 में जियो न्यूज़ के पत्रकार हामिद मीर पर जानलेवा हमला हुआ था। जियो न्यूज़ ने इस हमले के लिए आईएसआई प्रमुख को दोषी ठहराया था।
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान में इससे पहले भी नवाज शरीफ के ही शासन काल में पत्रकारों को सच लिखने की कीमत चुकानी पड़ी है। वर्ष 1992 में ‘द न्यूज़’ अख़बार की संपादक मलीहा लोधी के खिलाफ शांति भंग का मुक़दमा दर्ज किया गया था। यह मुकदमा अख़बार में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की हॅंसी उड़ाने वाली एक व्यंग्यगात्मक कविता के प्रकाशन के बाद किया गया था। वर्ष 1999 में नवाज़ शरीफ़ के ही शासनकाल में संपादक नजम सेठी को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ शांति भंग क़ानून लगाया गया था। एक महीने तक हिरासत में रहने के बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ मामलों को निराधार बताते हुए उन्हें रिहा कर दिया था। वर्ष 2014 में जब जियो न्यूज के पत्रकार हामिद मीर पर जानलेवा हमला हुआ तो इस समय भी आरोप लगाने को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा मानते हुए हामिद मीर के भाई आमिर मीर और जियो न्यूज़ पर भी मुक़दमा करने का आदेश दिया गया था।
इनके अलावा और भी कई ऐसे विदेशी पत्रकार हैं जिनको सच लिखने की कीमत चुकानी पड़ी है। 2014 में पाकिस्तान सरकार ने भारतीय अखबार ‘द हिंदू’ की संवाददाता मीना मेमन और ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ के प्रतिनिधि सनीश फिलिप्स को पाकितान से बाहर कर दिया था।