बी.के.सिंह। कहते हैं पैसा पेड़ पर नहीं उगता लेकिन परिवहन विभाग के अफसरों और कर्मचारियों के लिए तो पैसा पेड़ पर ही उगता है। जिस पैसे के दम पर परिवहन विभाग के ये अधिकारी और कर्मचारी दुनिया में सब कुछ हासिल कर लेने का दावा करते थे वही पैसा अब इन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। दरअसल इनको यह भ्रम हो गया था कि पैसे के दम पर कुछ भी किया जा सकता है लेकिन इनका यह भ्रम अब टूटता नज़र आ रहा है। जो लोग पहले यह कह रहे थे कि इस खेल के असली खिलाड़ी पैसे और रसूख के दम पर बच जायेगें वे लोग अब यह स्वीकार कर रहे हैं कि योगी राज में न तो पैसा काम आयेगा और ना ही उनका रसूख। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि ओवरलोडिंग के खेल में शामिल असली खिलाड़ियों को भी यह एहसास हो गया है कि दुनिया की कोई भी ताकत उन्हे अब नहीं बचा सकती।
आखिर किस सबूत के सहारे असली खिलाड़ी जायेगें जेल.
जानकारों का दावा है कि ओवरलोडिंग के खेल से जो धन उगाही होता है उसका करीब 80 फीसदी हिस्सा परिवहन विभाग के अफसरों और उनके कर्मचारियों के पास जाता है। यही कारण है कि इस विभाग के अफसरों और कर्मचारियों के पास अकूत संपत्ति है। हालात यह हैं कि इस विभाग के अफसरों ने अपनी पत्नी, बेटे, भाई, भतीजे, साले, बहन, बहनोई तथा नौकरों के नाम से बड़े पैमाने पर प्रापर्टी में निवेश कर रखा है। कई अफसरों के बारे में तो यहां तक दावा किया जा रहा है कि इनके पास आय से करीब 50 हजार गुना ज्यादा हैसियत है। जानकारों का कहना है कि परिवहन विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के आय की जांच हो जाये तो जो बहुत ईमानदार होगा उसकी भी हैसियत उसके आय से हजार गुना ज्यादा मिल जायेगी। ऐसे में यह साफ है कि जिस पैसे के लिए ये लोग ओवरलोडिंग के धंधे को संचालित कर रहे थे वहीं पैसा इनके लिए अब जी का जंजाल बन चुका है। इसके अलावा एसआईटी के पास सबसे बड़ा सबूत धर्मपाल सिंह और सिब्बू के ठिकानों से बरामद वह काली डायरी है। बताया जा रहा है कि इस डायरी में विभिन्न जिलों के आरटीओ, एआरटीओ, कर्मचारियों और सिपाहियों के नाम, मोबाइल नंबर, कई बैंकों के खातों का विवरण और साथ में विभिन्न जिलों के करीब 600 वाहनों की सूची मौजूद है। परिवहन विभाग से जुड़े सूत्रों का दावा है कि इस डायरी में मौजूद वाहनों की सूची और विभाग की ओर से चालान किये गये वाहनों की सूची का मिलान कर लिया जाए तो पूरा मामला शीशे की तरह साफ हो जायेगा। दरअसल इस डायरी में जो वाहनों की सूची मौजूद है ये वही वाहन हैं जिनकी एंट्री धर्मपाल और सिब्बू के लोगों ने किया है। जिस महीने में जिस भी वाहन का एंट्री हुआ होगा उसका चालान किसी भी जिले के अफसर ने नहीं किया होगा। यदि किसी एंट्री वाले वाहन का चालान हुआ भी होगा तो उसे मुख्यालय की ओर से गठित टीम ने किया होगा। ऐसे में यह साफ है कि यह काली डायरी ओवरलोडिंग के धंधे को संचालित करने वाले असली खिलाड़ियों के लिए काल बनेगी।
क्या है पूरा मामला..
दरअसल पिछले महीने गोरखपुर एसटीएफ ने एंट्री के सहारे प्रदेश भर में चल रहे ओवरलोड ट्रकों को संचालित करने वाले रैकेट का खुलासा किया था। इस मामले में एसटीएफ इंस्पेक्टर सत्य प्रकाश सिंह की तहरीर पर गोरखपुर के बेलीपार थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। इस खेल में प्रदेश के 16 जिलों के एआरटीओ, पीटीओ और आरटीओ विभाग से जुड़े पुलिस वाले लिप्त पाए गए हैं। अब तक मधुबन होटल के मालिक धर्मपाल सिंह समेत 6 लोगों को जेल भी भेजा जा चुका है। इस गंभीर मामले की जांच के लिए गोरखपुर के एसएसपी डा. सुनील गुप्त ने सीओ कैंट सुमित शुक्ल के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया है।
इस धंधे के असली खिलाड़ी तो परिवहन विभाग के अफसर हैं..
पिछले करीब दो दसक से ओवरलोडिंग के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ने वाले गोरखपुर ट्रक आपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस.पी. पाण्डेय का कहना है कि ओवरलोडिंग के इस खेल में शामिल धर्मपाल समेत जिन 6 लोगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है वे इस धंधे के बहुत छोटे खिलाड़ी हैं। इस धंधे के असली खिलाड़ी तो परिवहन विभाग के वे अफसर हैं जिनके सपोर्ट से यह पूरा खेल संचालित होता है। जब तक उन अफसरों को जेल नहीं भेजा जायेगा तब तक ओवरलोडिंग का धंधा बंद नहीं हो सकता। पुलिस महीनों मेहनत करके एक धर्मपाल को जेल भेजेगी और ये भ्रष्ट अफसर एक ही दिन में सैकड़ों धर्मपाल पैदा कर देगें।