उन दिनों मै देश के एक बड़े बिजनेस चैनल में था। जेट एयरवेज में हमेशा उठा-पटक चलती रही, ऐसे दौर में ही एक दोस्त के रिफरेंस से वो मय सहेलियां मेरे ऑफिस आई थी अपनी दुख गाथा कहने। कई क्रिमिनल केसेस देवीजी पर हो चुके थे। सोच रही थी कि अपनी मेकअप वाली लिपी-पुती सुंदरता और जबरजस्ती की सेक्सी छवि से लुभा के अपना काम निकाल लेगी। लेकिन हम सीनियर्स की जूता ट्रेनिंग (बहुत जूते खाए सीनियर्स से) सीखे हुए जर्नलिस्ट हो चुके थे। (उन सीनियर्स को धन्यवाद) उनके चलते जर्नलिस्म में दाई जैसे बन गए थे, जो अवैध गर्भ पेट में लिए कुंवारी नाबालिग लड़की से सब उगलवा लेती है। तो हमने भी उगलवा लिया। जो सुना वो घिनौना था। मेरे समाज का गंदा सच।
तब देवीजी को 85 हजार मिलते थे महीने के। याने आज के हिसाब से 50 लाख सालाना से ज्यादा। 45 हजार फ्लैट की ईएमआई देती थी। होंडा सिटी थी उस समय की। दारूवाले अंकल का बिल ही ‘सर, अबाउट 30k हो जाता है..समटाइम्स ज्यादा(हंसी)’..जय हो। तीन क्रेडिट कार्ड, एक होमलोन, दो पर्सनल लोन, दारू वाले का लोन सहित बहुत से पंगे पाल रखे थे।..नौकरी जा चुकी थी और 12वीं ले-दे के पास और एक दो कौड़ी का एयर होस्टेस का कोर्स करके अब दूसरा कोई 85k महीने के देने को तैयार नहीं था। दो बॉयफ्रेंड थे, एक को पेरिस ले गई थीं, और एक को बैंकाक, पटाया, बाली के बीच। कुछ मेडिकल प्राब्लम्स भी थी, उसका भी खर्चा था..अबार्शन के चलते।
तब मालूम चला कि कैसे डोमेस्टिक से इंटरनेशनल रूट्स पर फ्लाईंग मिलती है? तब पता चला कि 12वीं पास डफर लड़कियां, एक दो कौड़ी का कोर्स कर क्लास या मोहल्ले की टॉपर रही लड़की को क्योंं दुनिया की गाली सुनवा देती है। देख उनकी लड़की..हवा में उड़ती है, लाखों कमाती है, घर ले लिया..कित्ती लंबी गाड़ी है उसके पास..पढ़ने में तो तेरे से कम थी ना” । ये मेरे देश का वो वक्त था, जब गली मौहल्लों में एयर होस्टेस बनाने की दुकानें खुल गई थी। सबसे बड़ी दुकान पूरे देश में दिल्ली की पंजाबी आंटी ने खोली थी। चोखा मुनाफा था इस धंधे में। हमारे दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैम्पस के पास कमला नगर में ऐसी कई दुकानें थी। हाल ये था कि हम जैसे दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स के रिसर्चर को जितना मिल सकता था, उसका 10-20 गुना ये लड़कियां कमा रहीं थी। मेरा समाज, ज्ञान नहीं पैसों को तोलने लगा था तब।
17 अप्रैल, 2019 को जब जेट एयरवेज ने अमृतसर-मुंबई की अपनी लास्ट फ्लाइट ऑपरेशनल की, और 18 अप्रैल को मुंबई में जेट एयरवेज कर्मचारी यूनियन ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर सरकार से कहा कि हमें जनता की गाढ़ी कमाई के, खून पसीने के, मां-पापा के इलाज के लिए रखे, बेटी की शादी के लिए रखे, बेटी की पढ़ाई के लिए रखे रूपयों को लोन दे दो, तो पुरानी बातें याद आ गई। ..जनता के 1500 करोड़ रूपये चाहिए,,,कहते है फिलहाल इस चने-फुटाने से काम चल जाएगा, बाद में हजारों चाहिए…हमारे? किसलिए? इसलिए😕 सोचिए…दिमाग से..क्योंकि आपका पैसा आपकी बहुत मेहनत का है..
(वरिष्ठ पत्रकार निमिश कुमार के एफबी वॉल से साभार)