कनकलता (न्यूज़ एडीटर, ख़बर अब तक)। देश भर में दो नेताओं की चर्चा इस समय खूब हो रही है। इन दो नेताओं में एक हैं देश के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र दामोदर दास मोदी और दूसरे हैं दिल्ली जैसे छोटे राज्य के मुख्यमंत्री श्रीमान अरविंद केजरीवाल। गांव की चौपाल हो या फिर नाई की दूकान अथवा गली, मुहल्ले, नुक्कड़, चौक-चौराहे हर जगह सिर्फ यही चर्चा हो रहा है कि इनकी कथनी और करनी में कितना फर्क है।
मोदी सरकार NEET पर अध्यादेश जारी कर इसे लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एक साल के लिए रोकना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार ने अपने दायरे में आने वाले सभी मेडिकल कॉलेजों में NEET लागू करने का फैसला किया है। केजरीवाल का आरोप है कि कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के निजी मेडिकल कॉलेज है जहां हर साल दाखिले के नाम पर पैसों का गोरखधंधा होता है। मोदी सरकार इस अध्यादेश के जरिए काला धन रखने वालों का साथ दे रही है जो सीधे तौर पर प्रतिभाशाली छात्रों के साथ धोखा है।
अब बात करते हैं गांव की चौपाल से लेकर गली-मुहल्ले, चौक-चौराहों पर हो रही जन चर्चाओं की। इस समय NEET को लेकर मोदी और केजरीवाल सरकार के फैसले की खूब चर्चा हो रही है। इस चर्चा में केजरीवाल की बल्ले-बल्ले है तथा लोग मोदी की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं। लोग अपने-अपने हिसाब से तमाम तर्को के साथ मोदी सरकार के इस फैसले की जमकर आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि वास्तव में मोदी सरकार के कथनी और करनी में बहुत फर्क है।