Lucknow News | उत्तर प्रदेश में बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस दाखिले में बड़ा खेल हुआ है। बताया जा रहा है कि बिना नीट परीक्षा (नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) दिए ही करीब एक हजार अभ्यर्थियों को बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों में दाखिला दे दिया गया है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की पहल के बाद इस मामले की जांच गुपचुप तरीके से शुरू हो गया है। दरअसल वर्ष 2016 में बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों में दाखिले के लिए नीट अनिवार्य कर दिया गया था। नीट की मेरिट के हिसाब से पहले एमबीबीएस सीटों पर दाखिले लिए जाते हैं। इसके बाद एमबीबीएस में चयनित न होने वाले नीट के अभ्यर्थी बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों के लिए काउंसलिंग करवाते हैं। इस साल भी 27 जनवरी को बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों की सीटें काउंसलिंग के जरिए भरने का आदेश जारी किया गया था। मार्च-अप्रैल में काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। सूत्रों का दावा है कि काउंसिलिंग प्रक्रिया से जुड़े आयुर्वेद निदेशालय के लोगों और काउंसलिंग एजेंसी की साठगांठ से कई प्राइवेट कॉलेजों ने ऐसे अभ्यर्थियों को ऐडमिशन दे दिया, जिन्होंने नीट परीक्षा दिया ही नहीं था।
बताया जा रहा है कि काउंसलिंग के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़े की शिकायत राज्य के आयुष विभाग और आयुर्वेद निदेशालय में की थी। हालांकि इस शिकायत पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया जिसके बाद शिकायतकर्ताओं ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय में शिकायत की। इस शिकायत पर केंद्रीय आयुष विभाग ने यूपी के मंत्रालय को पत्र लिखा है और जांच कर रिपोर्ट मांगी है। इस चिट्ठी के आने के बाद विभाग के अफसरों ने गुपचुप जांच शुरू कर दी है। फिलहाल जांच शुरू होते ही हड़कंप मच गया है। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
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