बी.के. सिंह। कल यानि कि 26 सितंबर को अखिलेश यादव के आठवें मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। इस विस्तार में अगर गायत्री प्रजापति का शपथ ग्रहण होता है तो यूपी सीएम अखिलेश यादव की कथित साफ सुथरी छवि पर बड़ा बट्टा लग जायेगा और इसके जिम्मेदार होंगे खुद अखिलेश यादव के पिता यानि कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों मुलायम के लिए अखिलेश से भी ज्यादा जरूरी हैं गायत्री प्रजापति?
दरअसल गायत्री प्रजापति के कई ‘कमाई’ वाले धंधों में मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी से हुए पुत्र प्रतीक यादव की हिस्सेदारी है। जानकारों का कहना है कि गायत्री प्रजापति को इतनी तरजीह देने की वजह कोई राजनीतिक रणनीति नहीं बल्कि गायत्री प्रजापति के जरिये हो रही खनन की काली कमाई की हिस्सेदारी है। विपक्षी दलों का भी आरोप है कि गायत्री प्रजापति के कई ‘कमाई’ वाले धंधों में मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी से हुए पुत्र प्रतीक की हिस्सेदारी इस ‘तरफदारी’ की बड़ी वजह है।
अगर कल गायत्री प्रजापति का शपथ ग्रहण हो जाता है तो वे उत्तर प्रदेश सरकार में पहले ऐसे मंत्री होंगे जिन्हें चार बार शपथ दिलाई गई है। कुछ वर्ष पहले तक बीपीएल कार्ड धारक रहे गायत्री प्रजापति 1993 में बहुजन क्रान्ति दल से अमेठी से चुनाव लड़ कर महज 1500 वोट पाए थे। 2002 में चुनाव लड़ते समय गायत्री प्रजापति ने जो हलफनामा दिया था उसमें उनकी कुल सम्पत्ति 91436 रुपये बताई गई थी। 2012 के हलफनामे में उन्होंने यह सम्पत्ति 1.81 करोड़ बताई और आज यह 1000 करोड़ से अधिक बतायी जाती है।
बहुत कम समय में बीपीएल से बीएमडब्ल्यू तक का सफर तय करने वाले गायत्री प्रजापति के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने खनन के अवैध खेल को बहुत नियोजित तरीके से संस्थागत रूप दे दिया। वैसे तो खनन के जरिए काली कमाई का धंधा मायावती सरकार में ही शुरू हो चुका था। उस समय नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबूसिंह कुशवाहा तथा शराब व्यवसायी पोंटी चढ्ढा इस खेल के बड़े खिलाड़ी थे। लेकिन गायत्री प्रजापति के कमान संभालने के बाद यह और सलीके से होने लगा।
बताया जाता है कि गायत्री प्रजापति ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता को अपना संरक्षक बना लिया। सत्ता से दूर साधना गुप्ता को भी अपने बेटे प्रतीक यादव का भविष्य सुरक्षित करने के लिए किसी ऐसे ही आदमी की जरूरत थी जो उन्हे गायत्री के रूप में मिल गया। गायत्री प्रजापति को मनमानी करने के लिए साधना गुप्ता के दबाव में अखिलेश सरकार से पूरी छूट मिली हुई थी तो साधना गुप्ता को कीमत के रूप में काली कमाई में अपना हिस्सा मिल रहा था। कहा तो यहां तक जाता है कि गायत्री प्रजापति साधना गुप्ता के अलावा समाजवादी परिवार के अन्य लोगों का भी पूरा ध्यान रखते थे। उन्होंने कभी किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया।
एक अनुमान के मुताबिक गायत्री प्रजापति ने अपनी कमाई से करीब 10 हजार करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्तियां बनाईं हैं। जिनमें से करीब 1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति उनके परिजनों के नाम पर दर्ज है जबकि बाकी संपत्तियां विश्वास पात्र सहयोगियों और नौकरों के नाम पर दर्ज हैं। गायत्री प्रजापति के पास जितना पैसा आया उतने ही आरोप भी लगे। गायत्री प्रजापति के मंत्री रहते यूपी के लोकायुक्त के पास करीब आधा दर्जन शिकायतें पहुंची तो वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में गायत्री के खिलाफ करीब 60 जनहित याचिकाएं दाखिल हैं। इन्हीं याचिकाओं को क्लब कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में हुए खनन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी है। यह घोटाला करीब 3.5 लाख करोड़ का बताया जाता है।