सुंदर पिचाई के गूगल के सीईओ बनने पर नाहक ही हल्ला मचाया जा रहा है। इसके पहले ऐसा ही जश्न सत्य ऩडेला के माइक्रोसॉफ्ट का प्रमुख बनने पर मनाया जा रहा था। इनकी सफलताओं को ऐसे पेश किया जा रहा है मानो भारतीयों का सिलिकॉन वैली पर कब्ज़ा हो गया हो। अरे महाराज ये लोग अंतत अमेरिकी हैं और इन कंपनियों के वफ़ादार अधिकारी हैं। भारतीयता इनके मूल में भी नहीं बची है। ये अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल इन दैत्याकार कार्पोरेट की परिसंपत्ति बढ़ाने के लिए कर रहे हैं न कि हिंदुस्तानी अवाम की बेहतरी के लिए। इसलिए अपने राष्ट्रवादी उफान को ठंडा कीजिए और उन पर ध्यान लगाइए जो सचमुच में देश निर्माण के लिए ख़ून-पसीना बहा रहे हैं।
( देश के जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.)