ताजा प्रकरण वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन जी बता रहे हैं कि इटारसी की सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म होशंगाबाद जिले में बता दिया। होशंगाबाद, इटारसी, सोहागपुर, पिपरिया, बनखेड़ी, बाबई वाले खुश हैं और चिरगांव, झांसी (उत्तर प्रदेश) वाले माथा पकड़ कर बैठे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के विलक्षण ऐतिहासिक, भौगोलिक ज्ञान का यह एक और नमूना है। दर्जनों भरे पड़े हैं। कुछ अन्य पर भी गौर करें। बिहार में उन्होंने बताया कि तक्षशिला बिहार में है, गुप्त वंश के थे चंद्रगुप्त, चाणक्य बिहार में पैदा हुए थे, सिकंदर का ‘दीने इलाही’ बेड़ा पटना के पास गंगा में डूबा था। गुजरात में कहा, “श्यामा प्रसाद मुखर्जी गुजरात के थे। उत्तर प्रदेश के मगहर में कहा, “संत कबीर, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानकदेव एक साथ यहीं मगहर में बैठकर आध्यात्मिक चिंतन करते थे।” भोपाल में भाजपा कार्यकर्ता समागम में कहा 1984 में भाजपा, अटल जी भी तो चुनाव हारे थे, तब हमने तो ईवीएम का रोना नहीं रोया था। सीताराम केसरी दलित समाज से थे। दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर कहा, “मुझे 600 करोड़ भारतीय मतदाताओं ने प्रधानमंत्री चुना है”। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के जवाब में कहा, ” शिमला समझौता इंदिरा गांधी और बेनजीर भुट्टो के बीच हुआ था।” पंजाब में कहा, ” फांसी से पहले कांग्रेस का कोई भी नेता भगत सिंह और उनके साथियों से जेल में मिलने नहीं गया था।” गुजरात की चुनावी सभा में कहा, “सरदार पटेल की अंत्येष्टि में नेहरू शामिल नहीं हुए थे।” मेरे (मोदी) कहने पर देश में सवा सौ करोड़ परिवारों ने गैस पर मिलनेवाली सबसिडी छोड़ दी थी, यह सब और इससे भी ज्यादा ऐतिहासिक, भौगोलिक ज्ञान के ‘सच’ हमारे प्रधानमंत्री जी के मुखारविंद से निकलते रहे हैं। लेकिन कभी भी उन्हें अपने इस विलक्षण ज्ञान पर मलाल नहीं रहा और न ही उन्होंने अपने इस तरह के ‘ज्ञान’ के सार्वजनिक प्रदर्शन पर कभी अफसोस ही जाहिर किया।
आनेवाली पीढ़ियां देश के इसी तरह के ‘इतिहास, भूगोल के ज्ञान’ को अर्जित करेंगी!
(वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता के एफबी वॉल से साभार)