इस मामले में राजनैतिक दवाब में विजिलेंस ने फर्जी जाँच कर मेरी आय रु० 1,17,99,465 तथा व्यय रु० 2,16,11,629 बता कर मुझे रु० 98,12,164 के अनानुपतिक आय का दोषी ठहरा दिया था.
अब एक लम्बी विवेचना के बाद ईओडब्ल्यू ने पाया कि मेरी वास्तविक आय रु० 1,31, 25,376 तथा मेरा पारिवारिक खर्च तथा संपत्तियों में निवेश रु० 81,99,609 था और मेरे पास कोई अनानुपतिक आय नहीं है.
क्या राजनैतिक दवाब में सरकारी अफसरों को अपना ईमान बेच देना चाहिए? आप ही बताएं ऐसा करने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही होनी चाहिए?
(यूपी के चर्चित IPS अमिताभ ठाकुर के एफबी वॉल से साभार)