कमल कीचड़ में ही खिलता है, इसी को साबित करने की कोशिश में बीजेपी लगी हुई है। कांग्रेस ने देश लूटा, बीएसपी और एसपी ने यूपी लूटा- यही ताल ठोककर कहा जाता है। लेकिन इन्ही पार्टियों के लोग जब बीजेपी में आ जाएं तो डाकू रत्नाकर से ऋषि वाल्मीकि हो जाते हैं। विपक्ष मुक्त भारत का मतलब ये नहीं कि नैतिकता मुक्त भारत भी कर दिया जाए। यूपी के चुनावों में स्वामी प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक जैसों की वक्ती जरुरत समझी जा सकती है, लेकिन गुजरात में कांग्रेस में कोहराम मचा देना राजनीतिक नैतिकता का हवाला देनेवालों के लिये ठीक है क्या? एसपी के तीन और बीएसपी के एक एमएलसी को ले उड़ना ठीक है क्या? ये सब भ्रष्टाचार मुक्त, सेवाभाव वाले नेता है? सर! लोकतंत्र में विरोध भी उतना ही जरुरी है, जितना खुद को साधना. वर्ना बिना ब्रेक की गाड़ी हर वक्त अपने सिर हादसा लिए ही चलती है. आज उड़ रही है, पता नही कब उड़ भी जाए.
(इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से.)