शासन की कार्यवाही को यादव राज के रूप में देख रही सोशल मीडिया..

“थानेदारों की कार्यशैली ने अन्नत देव को कराया सस्पेंड” पुलिस महकमें में बेलगाम मातहतों का खामियाजा अफसर भोग रहें हैं हाल के दिनों में पीडितो के उत्पीडन के बाद की गयी कार्यवाही यह साबित कर रही है| लेकिन दुर्भाग्य से सोशल मीडिया इसे एक जातीय विशेष के राज के रूप में देख रही है, जो अत्यन्त ही चिंताजनक है जिले में आम जनों के उत्पीडन के कई मामले सामने आये हैं| मई महीने में चिलुआताल के तत्कालिन एस ओ रामपाल यादव ने थाना परिसर में ही एक महिला को सिर्फ इसलिए गाली दी क्योंकि वह एक दबंग से अपनी जमीन को बचाने की फरियाद करने गयी थी| दबंग महिला की जमीन कब्जा करना चाहता था,जिससे पीडित माहिला खासी परेशान थी एस ओ द्वारा गाली देने के बाद महकमें की काफी फजीहत हुई थी, दूसरी घटना गगहा थाना क्षेत्र की है जहां दारोगा ने एक रोजेदार को पानी की बजाए मूत्र पिलाना चाहा| घटना प्रकाश में आने के बाद खाकी एक बार फिर शर्मशार हुई, इन घटनाओं का शोर अभी थमा भी नहीं था कि कैण्ट थानाक्षेत्र में हुए एक जमीनी विवाद में हस्तक्षेप करने पहुँचे अधिवक्ता व सपा नेता गौरव यादव को पुलिस ने थाना परिसर में ही बेरहमी से पिटाई कर दी| पुलिस की यह निर्ममता उपरोक्त दोनों घटनाओं से कहीं ज्यादा बर्बर थी| एैसे में लाजमी था कि कार्यवाही एसएसपी पर ही होनी थी, परिणाम स्वरूप पश्चिम में दुर्दान्त डाकुओं को मार गिरा कर ख्याति बटोरने वाले कप्तान अन्नत देव न सिर्फ फजीहत हुए बल्कि निलम्बन की कार्यवाही का शिकार हुए लेकिन दुर्भाग्य से कुछ वर्ग इसे अलग-अलग नजरिये से देख रहा है| उजागर हुआ मीडिया कार्मियों का जातीय चेहरा -एसएसपी अन्नतदेव के निलम्बन के बाद शहर के कुछ मीडिया कर्मियों का जातीय चेहरा उजागर हुआ है, सोशल मीडिया पर स्वतंत्र रूप से बहस के दौर में मीडिया कर्मी भी कूद पड़े हैं ,इस पूरी घटना को यादव राज की संज्ञा दे दी गयी है, जबकि पुलिसिया उत्पीडन के कई मामलों में यही मीडिया कर्मी कप्तान के दरवाजे पर गीडगिड़ाते हैं, कार्यवाही की उम्मीद करते हैं और कार्यवाही भी नहीं दिखती तब निरंकुश पुलिस पर कोई बहस नहीं होती| मानवाधिकार के खुले उल्लघंन के बाद जिस तरीके से बहस आम हो चली है यह खेद जनक जरूर है इस घटना ने यह भी साबित किया है कि निष्पक्ष दिखने वाला पत्रकार जातीय,पार्टी के प्रतिबद्ध और निष्ठावान है यह समाज के लिए खतरे का संकेत है| “राजीव की तैनाती dig के आदेश का उल्लघंन-इस्पेक्टर कैण्ट राजीव सिंह की तैनाती डीआईजी के आदेश का खुला उल्लघन था क्योंकि तबादले की परिास्थिती में कोर्ट के आदेश लेकर आने वाले मातहतो के लिए डीआईजी शिवसागर सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा था कि न्यायालय के आदेश का सम्मान होगा, मातहत जिले में ही रहेगे लेकिन किसी जिम्मेदार पद पर नही रखा जायेगा, इस मामले से जुडे थानेदार रामपाल यादव भी रहे लेकिन माहिला को गाली देने के बाद उन्हें सस्पेन्ड कर दिया गया जबकि राजीव सिंह साहित कई अन्य दारोगा अपने पद पर बने हुए है, सपा नेता के घटना के बाद राजीव सिंह सस्पेन्ड तो हुए लेकिन कई अभी भी जिम्मेदारी के पद पर बने हुए हैं, दुर्भाग्य से इसकी चर्चा करना किसी ने जरूरी नहीँ समझा|

(जनसंदेश टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार अजित यादव के फेसबुक वॉल से.)

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