बीके सिंह। जरा कल्पना कीजिए कि एक बार फिर 12 मई 2015 की तरह भुकंप के झटकों से धरती कांपने लगे और गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र तथा छात्र संघ चौराहे के आस-पास रहने वाले लोग अभी सुरक्षित ठौर-ठिकानों की तलाश कर रहे हों इसी बीच एकाएक आसमान से हजारों हजार नुकीले काच के टुकड़ों की बरसात होने लगे तो ऐसे में यहां का मंजर क्या होगा सिर्फ यह सोचकर ही रूह कांप जा रहा है। लेकिन एक अस्पताल के प्रबंधतंत्र ने कुछ चंद रूपए बचाने के चक्कर में हजारों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है।
जी हां हम बात कर रहे हैं पैनेशिया लाइफ हेल्थ जोन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा निर्मित पैनेशिया लाइफ केयर अस्पताल का। आइए अब हम आपको बताते हैं कि कैसे गोरखपुर शहर के छात्र संघ चौराहे पर स्थित इस सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल ने हजारों लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है।
दरअसल ‘ख़बर अब तक’ के पास मौजूद साक्ष्यों से यह पता चला है कि इस अस्पताल के प्रबंध तंत्र ने महज चंद रूपयों को बचाने के चक्कर में इस बहुमंजिली इमारत के चारो ओर लगभग 40 हजार स्क्वायर फीट टफन ग्लास के जगह कच्चा ग्लास लगवा दिया है। जानकारों का कहना है कि अगर हल्के भूकंप के झटके भी आ जाएं या अस्पताल में आग लग जाए तो ऐसे में इन काच के टुकड़ों से हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।
इस संबंध में जब गोरखपुर के चीफ फायर आफिसर एस.एन. प्रसाद से बात किया गया तो उनका कहना था कि इस अस्पताल ने अभी फाइनल एनओसी नहीं लिया है इनके पास प्रोविजनल एनओसी है यदि कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए अस्पताल प्रबंधन स्वयं जिम्मेदार होगा। एस.एन प्रसाद ने बताया कि बिना फाइनल एनओसी लिए भवन का ब्यवसायिक इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।
वरिष्ठ पत्रकार आलोक वर्मा कहते हैं कि एक अस्पताल द्वारा इस तरह का कृत्य करना घोर निदंनीय है। अस्पताल प्रबंधन के इस कारनामें ने हजारों लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है। संबंधित अधिकारियों को तत्काल इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।