फर्जी नोटिफिकेशन के जरिए करोड़ों की दवा खरीद मामले में 3 CMO समेत 7 के खिलाफ EOW ने दर्ज की FIR

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लखनऊ। यूपी के बदायूं में फर्जी नोटिफिकेशन के जरिए करोड़ों की दवा खरीद मामले में EOW ने बदायूं के तत्कालीन 3 सीएमओ समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इन सभी आरोपियों ने फर्जी नोटिफिकेशन के जरिए करोड़ों की दवाओं की खरीद कर सरकारी धन को लूटा था। EOW ने बदायूं के तत्कालीन सीएमओ रहे डॉ. हरिराम, डॉ. एमपी बंसल, डॉ. सुधाकर द्विवेदी व बदायूं जिला चिकित्सालय के तत्कलीन एसएमओ डॉ. सीपी सिंघल, तत्कलीन फार्मासिस्ट अनुपम कुमार दुबे, आरबी यादव व सुरेश चौरिसिया को इस पूरे घोटाले का आरोपी माना है। इन सभी आरोपियों पर 409/420/419/467/468/471/120b व 13(d) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

ख़बरों के मुताबिक साल 2004 से 2006 तक दवा खरीद मामले में उजागर हुए भ्रष्टाचार की जांच कर रही EOW ने अपनी जांच पूरी कर ली है। इस मामले में एजेंसी ने बदायूं के तत्कालीन 3 सीएमओ समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोप है कि इन सभी आरोपियों ने फर्जी नोटिफिकेशन के जरिए करोड़ों की दवाओं की खरीद कर सरकारी धन को लूटा था। EOW ने घोटाले की जांच में पाया है कि 2004 से 2006 तक बदायूं जिले में तैनात रहे सीएमओ ने अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से दवाओं की आपूर्ति के लिए फर्जी नोटिशफिकेशन जारी कर अपने खास लोगों के मेडिकल स्टोर से करोड़ों रुपये की दवाओं की आपूर्ति करवाई थी। यही नहीं ये सभी मेडिकल स्टोर यूपीडीपीएल के अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर नहीं थे।

जांच में ये भी पता चला है कि साल 2004 से 2006 के बीच बदायूं सीएमओ की तरफ से यूपीडीपीएल को कोई भी दवा के लिए मांगपत्र नहीं मिला था और न ही यूपीडीपीएल ने किसी भी मेडिकल स्टोर को दवाओं की आपूर्ति के लिए कहा था। ऐसे में यह साफ है कि तत्कालीन सीएमओ ने अधिकारियों, कर्मचारियों व मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ मिलकर करोड़ो रुपये का बंदरबांट किया था।

दरअसल, साल 2004 से 2006 तक बदायूं जिले के सीएमओ और सीएमएस ने दवाओं की खरीद की थी। सभी सरकारी अस्पतालों को जाने वाली दवाओं में नकली दवाओं की खरीद भी की गई थी। यह खेल साल 2008 में उजागर हुआ था। मामला सुर्खियों में आया तो शासन स्तर से इसकी जांच शुरू हो गई। 14 फरवरी साल 2008 को दवाओं के इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा लखनऊ को सौंपी गई थी। जिसके बाद जांच की रिपोर्ट आने के बाद मामले में कार्रवाई की गई है।

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