मोदी जी थोड़ी हिम्मत और करिये और ले लीजिये जीवन का सबसे बड़ा फैसला…

आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग के मुताबिक मायावती के भाई आनंद कुमार अप्रत्यक्ष तौर पर 100 से ज्यादा निजी कंपनियों से जुड़े हुए हैं. आनंद की माली हैसियत 5000 करोड़ रूपए से ज्यादा आंकी जाती है. मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक इस वक़्त यूपी के सबसे रसूखदार रियल एस्टेट डेवलपर में एक हैं. लालू यादव के परिवार की चल अचल सम्पतियों की थाह तो आजतक सीबीआई भी नाप नही सकी है. और राबर्ट वाड्रा, सुखबीर बादल , कार्तिक चिदंबरम और सुप्रिया सुले की बात न करें तो बेहतर है.

अब ज़रा एक नज़र मोदी के सगे भाई बहन पर भी.16 साल से लगातार सत्ता में रहकर भी मोदी ने अपनी बहन बसंती बेन की सिफारिश नही की जिसके चलते आज भी वो विसनगर के एक स्कूल में मामूली टीचर है. . मोदी के सबसे बड़े भाई सोमभाई आजकल वाडनगर के एक आश्रम के छोटे से कमरे में रहते हैं. सोमाभाई से छोटे अमृतभाई ने अहमदाबाद की स्टार्च मिल कम्पनी में वर्कर के काम से रिटायरमेंट लेकर शहर के राणिप इलाके में पनाह ली है. उनसे छोटे, प्रह्लाद मोदी राशन की दुकान चलाते हैं और राशन दुकानदारों के संघ से जुड़े हैं. सबसे छोटे भाई पंकज गुजरात सूचना विभाग में क्लास 2 अफसर हैं और क्योंकि इनकी माली हालत थोड़ी बेहतर है इसलिए माँ इनके पास रहती है.

मित्रों अब सवाल ये है कि प्रधानमंत्री ने जब अपने सगे भाई-बहन-माँ- बीवी को खरबों की सरकारी तिजोरी से एक ढेला नही दिया ..तो फिर वो अपना कलेजा थोड़ा और मज़बूत कर लें तो देश में चोरी-चंदे की राजनीति बदल सकते हैं.. मोदी को देश की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठकर अब बीजेपी के सबसे बड़े दानवीर उद्योगपतियों को खुद से अलग करना होगा. अगर वो सार्वजनिक मंच पर खुद को इन उद्योगपतियों से जुदा करते हैं तो जनता स्वयं चुनावी चन्दे के लिए अपनी झोली खोली देगी. जो काम आम आदमी पार्टी करने चली थी लेकिन नही कर पायी वो मोदी कर सकते हैं.
सवाल बस एक बड़े फैसले का है.
सवाल राजनीती की धारा बदलने का है.
यूँ तो देश में 15 प्रधानमंत्री शपथ ले चुके हैं…
सवाल बस एक मर्द प्रधानमंत्री का है.

माँ-बहन-पत्नी-भाई-भतीजे ..सबका मोह अगर कोई छोड़ दे …
तो फिर वो कुछ भी छोड़ सकता है.
मोदी जी थोड़ी हिम्मत और करिये .
थोड़ा कलेजा और कड़ा कीजिये
ले लीजिये जीवन का सबसे बड़ा फैसला
सोचिये मत ..
अडानी जैसे लोग सोमाभाई-अमृतभाई से बड़े नही हैं.

(वरिष्ठ खोजी पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.)

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