नोटबंदी से किसान परेशान, ब्यापारी हलकान, हो जायेगा भारी नुकसान

लखनऊ। ब्लैकमनी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सर्जिकल स्ट्राइक ने किसानों को भारी मुसिबत में डाल दिया है। किसानों ने मांग की है कि जिस तरह सरकार ने पेट्रोल पंप और अस्पतालों में पुराने नोट चलाने की छूट दी हुई है, उसी तरह किसानों को भी खाद-बीज की दुकानों पर 500 व 1000 रुपए के नोट चलाने की छूट दी जाए।

किसान एवं नेता प्रवीण तिवारी का कहना है कि नवंबर-दिसंबर किसान के लिए बुवाई का समय है और ऐसे में 500 व 1000 रुपए के नोट बंद करने से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

किसान नेता राधेश्याम पूनिया के मुताबिक किसानों की सारे साल की आय उनकी उपज से ही होती है और ऐसे में 500 व 1000 रुपए के नोट बंद होने से उन्हें बिजाई के दिनों में खाद, बीज व अन्य सामान खरीदने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को खाद-बीज की दुकानों पर 500 व 1000 रुपए के नोट चलाने की छूट दी जाए।

किसान संतोष सिंह का कहना है, ‘मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि बीज खरीद सकूं क्योंकि पुराने बड़े नोट स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। सरकार को हमारी मदद करने के लिए कोई रास्ता निकालना चाहिए।’

किसान घनश्याम गुप्ता का कहना है, ‘पुराने नोटों को स्वीकार तो किया ही नहीं जा रहा है बल्कि मार्केट में छोटे नोट भी नहीं मिल रहे हैं। इस कारण हम लोग खाद-बीज नहीं खरीद पा रहे हैं। हमें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।’

वहीं दूसरी तरफ सब्जी उगाने वाले छोटे किसान भी काफी परेशान हैं। किसानों का आरोप है कि नोटबंदी से उनके फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है। बाजार में सब्जियों के भाव काफी कम हो गये हैं। जिससे उनको भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

किसानों के साथ-साथ ब्यापारियों को भी अब भारी नुकसान का डर सताने लगा है। पूर्वांचल के बड़े कारोबारी और गोरखपुर फर्टिलाइजर डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल टिबड़ेवाल का कहना है कि खरीफ की फसल के बाद प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है, लेकिन नकदी न होने के कारण किसानों को खाद-बीज के लिए परेशान होना पड़ रहा है। अनिल टिबड़ेबाल के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में बहुत कम किसानों के पास चेकबुक है। ऐसे में किसानों की समस्या को देखते हुए मजबूरन कारोबारियों को उधार खाद-बीज बेचना पड़ रहा है। कुछ किसान मजबूर होकर पुराना बीज बो रहे हैं जिससे उनका उत्पादन घट सकता है और बीज की बिक्री कम होने से कारोबारियों को भारी घाटा हो सकता है।

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