बी.के. सिंह। यूपी के चर्चित सीओ जिआउल हक मर्डर केस में देश की जानी-मानी खोजी वेबसाइट कोबरापोस्ट ने बड़ा खुलासा किया है। कोबरापोस्ट के इस खुलासे के बाद देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। कोबरा पोस्ट का दावा है कि उसकी टीम ने जब सीबीआई जांच की छानबीन की और साथ ही उस घटना से जुड़े लोगों से पूछताछ की तो कई चौंकने वाले खुलासे हुए। ऐसे खुलासे जिसे सुनकर सीबीआई की जांच भी शक के दायरे में आ रही है।
कोबरापोस्ट के खुलासे से ये साबित हो रहा है कि इस मामले में सीबीआई ने अपना काम ठीक तरह से नहीं किया। कोबरापोस्ट ने अपनी छानबीन में इस घटना के समय शहीद सीओ के गनर इमरान सिद्दकी, तब के नवाबगंज के एसएचओ अरविंद कुमार सिंह, इंस्पेक्टर के ड्राइवर सुरेश सिंह, आरक्षक शौकत खान, महबूब आलम, विपिन कुमार पांडे, शक्ति दत्त दुबे, गुलाम चंद्र मिश्रा और उस समय इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा के हमराही रहे हबीब सिद्दकी से संपर्क साधा। कोबरा पोस्ट का दावा है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने भी इस घटना की जांच में ढुलमुल रवैया अपनाया। इतना ही नहीं, जब कोबरा पोस्ट ने खुफ़िया कैमरे पर इस घटना से जुड़े लोगों से बात की तो पाया कि सीबीआई ने केस को कमजोर करने के लिए जानबूझकर उन लोगों के बयान ही नहीं लिये जो इस केस की अहम कड़ी थे।
कोबरापोस्ट की छानबीन में सीबीआई की जांच रिपोर्ट पर भी कई सवाल खड़े किए गये हैं। कोबरा पोस्ट का दावा है कि इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा की संदिग्ध भूमिका के बावजूद सीबीआई की टीम ने उनका बयान रिकॉर्ड नही किया। इसके अलावा घटनाक्षेत्र के एसओ मनोज शुक्ला और घटना स्थल पर मौजूद एसआई विनय कुमार का भी सीबीआई ने बयान रिकॉर्ड नहीं किया। गनर इमरान ने कहा था कि सीओ साहब उसके पीछे थे और जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो गायब हो गए थे। जबकि सीओ की लाश उसी जगह के पास मिली जहां से इमरान गायब होने की बात कर रहा था। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? पुलिस गांव में घुसी, लोगों ने फायर किया और इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा भागकर गांव से बाहर हो गए, पूरी घटना 5 मिनट के अंदर ही हो गई। आखिर ये कैसे मुमकिन है?
कोबरापोस्ट की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट जरूर देखें..