बी.के. सिंह। ऑपरेशन ‘समाज कल्याण’ के जरिए आज ‘ख़बर अब तक’ एक बड़ा खुलासा करने जा रहा है। आज हम अपने इस खुलासे से गरीबों, दलितों, शोषितों और असहायों को लूटने वाले दलालों और अफसरों को बेनकाब करेगें।
ऑपरेशन ‘समाज कल्याण’ में सबसे पहले हम आपको गोरखपुर जिले के गोला ब्लाक के गोपालपुर गांव का हाल दिखाने जा रहे हैं। सरकारी आकड़ों के मुताबिक पिछले 4 सालों में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के अन्तर्गत गोपालपुर गांव के 46 लाभार्थियों को अनुदान दिया जा चुका है।
समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर जो शासनादेश मौजूद है उसके मुताबिक इस योजना में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के कमाऊ मुखिया, जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष से कम हो, की मृत्यु होने पर मृतक के आश्रित को तीस हजार रूपये एक मुश्त आर्थिक सहायता दिया जाता है। इस शासनादेश में साफतौर पर लिखा है कि राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए मृत्यु की तिथि के एक साल के अंदर आवेदन किया जाना अनिवार्य है।
‘ख़बर अब तक’ की टीम ने जब गोपालपुर गांव के 46 लाभार्थियों की तलाश शुरू की तो बेहद चौंकाने वाला सच सामने आया है। इस गांव के रहने वाले गया प्रसाद दूबे बैंकाक रहते थे और वहीं पर वर्ष 2008 में उनकी मौत हो गई। जबकि राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में गया प्रसाद दूबे की पत्नी गायत्री दूबे को वर्ष 2019-20 का लाभार्थी बताया गया है। इस योजना में आवेदन के दौरान जो दस्तावेज लगे हैं उसमें गया प्रसाद दूबे की मृत्यु की तिथि 10 फरवरी 2019 अंकित है। सरकारी आकड़े यह दावा कर रहे हैं कि गया प्रसाद दूबे की पत्नी गायत्री दूबे राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना की लाभार्थी हैं और वर्ष 2019-20 में इनको 30 हजार रूपये का अनुदान दिया गया है।
इसी तरह गोपालपुर गांव के सीकड़चन्द्र वर्मा कारोबारी थे और उनकी मृत्यु 24-08-2009 को ही हो गई थी। जबकि राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में सीकड़चन्द्र वर्मा की पत्नी दमयन्ती को वर्ष 2019-20 का लाभार्थी बताया गया है। इस योजना में आवेदन के दौरान जो दस्तावेज लगे हैं उसमें सीकड़चन्द्र वर्मा की मृत्यु की तिथि 11 सितम्बर 2018 अंकित है। सरकारी आकड़े यह दावा कर रहे हैं कि सीकड़चन्द्र वर्मा की पत्नी दमयन्ती राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना की लाभार्थी हैं और वर्ष 2019-20 में इनको 30 हजार रूपये का अनुदान दिया गया है।
‘ख़बर अब तक’ की टीम को इस गांव में कई ऐसे लोग मिले हैं जिनकी मृत्यु 15-20 साल पहले ही हो चुकी है लेकिन दलालों ने अफसरों के साथ मिलकर उनके परिजनों को भी इस योजना का लाभार्थी बना दिया है। सच यह है कि गरीबों के कल्याण के लिए बनी यह योजना दलालों और अफसरों के कल्याण की योजना बनकर रह गयी है। ऑपरेशन ‘समाज कल्याण’ के जरिए ‘ख़बर अब तक’ लगातार कई और बड़ा खुलासा करेगा।