देश के अन्नदाता को हक दिलाने के लिए बड़े-बड़े दावे और वादे किये जाते हैं। लेकिन सच यह है कि यह दावा और वादा सिर्फ सरकारी आकड़ों तक ही सीमित है। देश में सरकार चाहे कोई भी हो लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकारी और कर्मचारी जो चाहते हैं वही होता है। क्योंकि सरकार द्वारा लायी जाने वाली हर योजना को धरातल पर लागू करने में सबसे बड़ी भूमिका अधिकारियों और कर्मचारियों की होती है। फिलहाल आज हम ‘ऑपरेशन अन्नदाता’ के जरिए किसानों को रूलाकर अपना जेब भरने वालें लूटेरों को बेनकाब करने जा रहे हैं। आज हम अपने इस खुलासे में बताएंगे कि कैसे देश को महंगाई से बचाने वाले किसान के हित के लिए बनी यह योजना महज कुछ अफसरों और माफियाओं के लूट की योजना बनकर रह गयी है।
दरअसल जनता के पैसे से किसान हित में चल रही इस योजना का लाभ किसान को कितना मिल पा रहा है इसका सच जानने के लिए ‘ख़बर अब तक’ की टीम बस्ती जिले के एक़ गांव पहुंची थी। सरकारी आकड़ों के मुताबिक इस गांव के 1056 किसानों ने सरकार को धान बेचने के लिए बतौर किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवाया। इसमें से करीब 700 किसानों ने 73000 कुन्तल धान सरकार को बेच भी दिया। ‘ख़बर अब तक’ की टीम ने जब इस गांव में इन किसानों की तलाश शुरू की तो जो सच सामने आया वह बेहद हैरान करने वाला था। फिलहाल आप हमारे इस रिपोर्ट के जरिए यह बेहद महत्वपूर्ण खुलासा जरूर देखिए..