कनकलता। देश में दलितों और आदिवासियों की आबादी करीब 30 करोड़ के आस-पास है। पिछले 67 साल से इनको आरक्षण का लाभ मिल रहा है लेकिन सच यह है कि वास्तव में जो जरूरतमंद हैं उनको इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि अनुसूचित जाति और जनजाति का समृद्ध और पढ़ा लिखा तबका गरीबों के हक को हड़प रहा है। इस बीच राजनीतिक गलियारें में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत जल्द आरक्षण में भी सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे यह चर्चा जोर पकड़ रही है गरीबों के हक को हड़पने वाले लोग बेचैन होकर तमाम तरह के आरोप लगा रहे हैं।
जनचर्चा है कि आरक्षण का लाभ वास्तव में असली हकदार को मिले इसके लिए मोदी सरकार बहुत जल्द कुछ बड़े कदम उठा सकती है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह चाहते हैं कि आरक्षण का लाभ वास्तव में जो जरूरतमंद हैं उनको मिलना चाहिए। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि दलितों और आदिवासियों के तथा कथित हितैषी कहे जाने वाले ही नहीं चाहते हैं कि इसका लाभ असली हकदार को मिले।
ग्रामीण इलाकों में खूब हो रही है चर्चा
कुछ दिन पहले ग्रामीण इलाकों में यह अफवाह फैलाई गई थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरक्षण को खत्म कर रहे हैं जिससे दलितों और आदिवासियों में काफी आक्रोश था। लेकिन इस समय ग्रामीण इलाकों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि मोदी आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते बल्कि वे यह चाहते हैं कि दलितों और आदिवासियों का जो गरीब तबका है उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।