मुज़फ़्फ़रपुर में जो बदइंतज़ामी या फिर डॉक्टर/स्टाफ़/दवा की भयानक कमी है- उन तस्वीरो के साथ राज्य के CM/हेल्थ मिनिस्टर/हेल्थ सेक्रेटेरी और केंद्र सरकार को आवाज़ लगाना ज़रूरी है. बेड 40 और मरीज़ 120 तो एक पर तीन आएँगे ही. नीचे जाएँगे ही. डॉक्टर कम हैं तो इधर आइए- उधर चलिए का शोर होगा ही. इस आपात स्थिति को उस मेडिकल कॉलेज के हवाले छोड़ दिया गया है, जो हर लिहाज़ से ख़ुद ही बीमार है. घर-परिवार में छोटा मोटा मौक़ा-मोहाल होता है तो मोहल्ले और नाते से कुछ लोग हाथ बँटाने आ जाते हैं. यहाँ सैकड़ों बच्चों की जान पर बनी है और सारा सिस्टम तमाशा देख रहा है. दिन भर में डॉक्टर/बेड/दवा का भारी इंतज़ाम हो सकता है, लेकिन इसके लिए जान की क़ीमत समझ आनी चाहिए. अपनी ज़िम्मेदारी को लेकर बेचैनी बनी रहनी चाहिए. जब, जैसा है वैसा चल ही रहा है, ICU और जेनरल वार्ड का फ़र्क़ ही नहीं रहा है, तो फिर रिपोर्टर कहीं घुस जाए क्या सवाल??
( वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत के एफबी वॉल से )