उन चैनलों के लायसेंस रद्द किए जाने चाहिए जिन्होंने ये जघन्य काम किया है..

ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन एवं एडिटर्स गिल्ड जैसी संस्थाओं के लिए ये अग्निपरीक्षा की घड़ी है। हालाँकि वे बहुत सारी परीक्षाओं में फेल होती रही हैं, मगर इस बार ठोस कदम उठाकर अपने पाप धो सकती हैं। मनगढ़ंत ख़बरें और वीडियो चलाने वाले चैनलों को संगठन से बाहर करें और उनके ख़िलाफ़ वे सभी क़दम उठाएं जो पत्रकारिता की बची-खुची इज्ज्त को बचाने में सहायक हो सकते हैं। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो इतिहास में उनका ये अपराध भी दर्ज़ हो जाएगा।

वीडियो से छेड़छाड़कर किसी को बदनाम करना या देश में उपद्रव, अशांति तथा तनाव का वातावरण पैदा करना न केवल पत्रकारिता की आचरण संहिता के विरुद्ध है बल्कि भारतीय दंड सहिता के तहत भी गंभीर अपराध है। अब ऐसे लोगों के खिलाफ़ मामला दर्ज़ करके कार्रवाई की जानी चाहिए और उन चैनलों के लायसेंस रद्द किए जाने चाहिए जिन्होंने ये जघन्य काम किया है।
पुलिस और सरकार शायद ये न करे, क्योंकि इसमें उनकी मिलीभगत हो सकती है। लेकिन न्याय के लिए लड़ने वालों को इसे अदालत तक ले जाना चाहिए। अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो सुप्रीम कोर्ट खुद इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। ऐसी न्यायिक सक्रियता का सब स्वागत करेंगे। ये देश पर उसका बडा एहसान होगा। इससे पत्रकारों और मीडिया संस्थानों की गिरती साख भी बचेगी और भविष्य में इस तरह का कुकर्म करने से लोग बाज़ आएँगे।

( देश के जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.)

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