नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए लेकिन इन तीन सालो में नरेंद्र मोदी की हालत को देखकर हमारे स्कूल के प्रिंसिपल सर की याद आ गई। जब देखो गंभीर सिर्फ काम की बात नो बकवास, हर सप्ताह नई नई योजनाएं ऐसे विकास वैसे विकास हालांकि इसमें कोई कमी भी नही रखने देते.. ऐसा जुनूनी की स्कूल के चपरासी से ज्यादा काम वो ही करते लेकिन उनकी सारी योजनाओ सारी सोच को स्कूल के टीचर जिन पर वो भरोसा करते थे वही मुह चिढ़ाते थे…प्रिंसिपल सर के सामने तो जी सर जी सर कहते नही थकते थे लेकिन उनके जाते ही सब भूल जाते थे.. और स्टूडेंट्स की बात करे तो उनका क्या प्रिंसिपल साहब के सामने उनकी जय जय और मास्टर साहब के सामने उनकी जय जय.. उस वक़्त भविष्य की थोड़े ही सोचते थे कि नुकसान किसका हो रहा है ..प्रिंसिपल सर खराब लगते थे और मास्टर साहब अच्छे ….लेकिन अब लगता है कि प्रिंसिपल सर ही अच्छे थे ..लेकिन …समय वापस नही आता
(बिहार के तेज तर्रार पत्रकार और न्यूज़ 24 के बिहार-झारखंड ब्यूरो चीफ अमिताभ ओझा के एफबी वॉल से.)