यौन उत्पीड़न के कथित मामले में महिला ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ करीब 36 तथ्य/सुबूत क्रमवार अपने हलफ़नामे में लगाए हैं? सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकील बता रहे कि महिला ने हलफ़नामे में पूरे घटनाक्रम का ऐसा सिलसिलेवार वर्णन किया है कि सही जाँच हो तो सीजेआई साहब के लिए मुश्किलें खडीं हो सकतीं हैं। देश का क़ानून कहता है कि पीड़ित की शिकायत पर पहले उसकी फ़रियाद सुनी जानी चाहिए और फिर विधिक कार्रवाई।आरोप सच हों तो आरोपी पर एक्शन और झूठें हों तो शिकायतकर्ता पर। मगर यहाँ महिला की नौकरी तो छिनी ही, न्याय के अधिकार से ही वंचित करने की कोशिश हो रही। बिना जाँच किए ही महिला को झूठा क़रार दे दिया गया। उल्टे, दिल्ली पुलिस की पूरी टीम राजस्थान के घर पर धावा बोलकर परिवार को प्रताड़ित करती है और दिल्ली बुलाकर माफी माँगने का दबाव डालती है।
( पत्रकार नवनीत मिश्र के एफबी वॉल से साभार )