गोरखपुर नगर निगम के एक लिपिक का बड़ा कारनामा सामने आया है। यह लिपिक जन्म-मृत्यु पंजीकरण कार्यालय में तैनात है। बताया जा रहा है कि इस लिपिक के हाईस्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि वर्ष 1959 अंकित है। इस जन्मतिथि के अनुसार उसे वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त होना था लेकिन उसने अपनी जन्मतिथि पांच साल बढ़ा ली। इस आधार पर उसे वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त होना था लेकिन उसने अपनी जन्मतिथि दो साल और बढ़ाने के लिए आवेदन कर दिया। इस लिपिक ने दावा किया कि नगर निगम में उसकी जन्मतिथि गलत दर्ज है। नगर आयुक्त ने जब इसकी जांच करायी तो पूरा सच सामने आ गया। अब इस लिपिक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। चार सदस्यीय कमेटी मामले की जांच करेगी।
ख़बरों के मुताबिक गोरखपुर नगर निगम के कनिष्ठ लिपिक शरीफ अहमद के हाईस्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि वर्ष 1959 है। इस जन्मतिथि के अनुसार उसे वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त होना था लेकिन उसने अपनी जन्मतिथि पांच साल बढ़ा ली। इस आधार पर उसे वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त होना था। इसके बाद शरीफ अहमद ने अपनी जन्मतिथि गलत बताते हुए दो साल और बढ़ाने के लिए आवेदन किया तो जांच अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्र को सौंपी गई। शरीफ ने बताया कि उसकी जन्मतिथि 1966 है लेकिन नगर निगम के रिकार्ड में यह 1964 दर्ज है। अपर नगर आयुक्त ने शरीफ अहमद की ओर से प्रस्तुत मार्कशीट की क्रास चेकिंग के लिए उसके स्कूल से रिपोर्ट मांगी। स्कूल की ओर से बताया गया कि शरीफ ने जब हाईस्कूल में प्रवेश लिया तो उसकी जन्मतिथि 1959 दर्ज करायी गई थी।
फिलहाल मामला सामने आने के बाद नगर आयुक्त ने चार सदस्यीय कमेटी को जांच सौंप दी है। इस कमेटी में अपर आयुक्त दुर्गेश मिश्र, अपर नगर आयुक्त मृत्युंजय, उप नगर आयुक्त संजय शुक्ल व लेखाधिकारी रवि सिंह को शामिल किया गया है। कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर ज्यादा लिए गए वेतन की रिकवरी के साथ ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।