अब पछताए होत क्या..जब चिड़िया चुग गई खेत !

बी.के. सिंह। उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस समय लगभग सभी पार्टियां अपनी-अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में लग गई हैं। राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी किसी भी कीमत पर फिर से सत्ता पर काबिज होना चाहती है। इसके लिए प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पिछले कुछ दिनों से बदले-बदले नज़र आ रहे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अपने दो कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति और राज किशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा महज दो महीने पहले नियुक्त 1982 बैच के दागी आईएएस अफसर दीपक सिंघल को भी पद से हटा दिया है। गायत्री प्रजापति यूपी में अब तक के सबसे बड़े एक लाख करोड़ के माइनिंग घोटाले को लेकर चर्चा में हैं। इस मामले की सीबीआई जांच हो रही है। वहीं दूसरी तरफ राजकिशोर सिंह पर जमीन हड़पने का आरोप है। दागी दीपक सिंघल का विवादों से पुराना नाता है। अमर सिंह के लीक हुए टेप को सुनने के बाद पता चलता है कि किस तरह वे नेताओं के इशारे पर नाचने वाले अफसरों में शामिल हैं।

इस समय मुख्यमंत्री के रडार पर कृषि और चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह, कैबिनेट मंत्री राममूर्ति वर्मा और माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह हैं। कुछ दिन पहले राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह का एक ऑडियो खूब चर्चा में रहा। इस ऑडियो में राधेश्याम सिंह एक अधिकारी को 1 मिनट में 13 बार गाली देते हुए सुनाई दे रहे थे। हालांकि राधेश्याम सिंह गाली देने वाले अखिलेश सरकार के पहले मंत्री नहीं हैं इससे पहले पत्रकार जगेन्द्र सिंह हत्याकांड को लेकर चर्चा में रहे कैबिनेट मंत्री राममूर्ति वर्मा का भी गाली देने वाला एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था। इस ऑडियो में राममुर्ति वर्मा यूपी पुलिस के एक दरोगा को गालियां दे रहे थे। गाली देने के मामले में यूपी के माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह भी पीछे नहीं हैं। इनके नाम ढाई मिनट में 56 बार गालियां और धमकी देने का रिकार्ड दर्ज है। जनचर्चा है कि अब अगला नंबर गालीबाज मंत्रियों का है।

कानून-ब्यवस्था के मामले में अखिलेश यादव को यूपी का सबसे विफल मुख्यमंत्री कहा जा रहा है। पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश पुलिस पर 100 से अधिक बार हमले हो चुके हैं, जिसमें एडिशनल एसपी समेत आठ पुलिस वाले शहीद हो गए। मुजफ्फरनगर दंगे से लेकर मथुरा कांड तक कई ऐसी जघन्य वारदातें घटित हुई हैं, जो इतिहास के पन्नों में मोटे-मोटे काले अक्षरों से दर्ज हो चुकी हैं, जिन्हें किसी के लिए भी भुला पाना आसान नहीं है। अखिलेश राज में महिलाएं सलाखों के पीछे भी सुरक्षित नहीं हैं। बुलंदशहर में हुई गैंगरेप की घटना भी सरकार पर काला धब्बा है। हालांकि अखिलेश यादव पिछले कुछ दिनों से नए अंदाज में नज़र आ रहे हैं। शायद वह जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि अब वे ट्रेनी सीएम नहीं रहे एक और मौका मिला तो सब ठीक कर देंगे। सवाल यह है कि क्या अचानक आया यह बदलाव उनकी शुरुआती निष्क्रियता की भरपाई कर पाएगा या बहुत देर हो चुकी है? फिलहाल यह सब देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि अब पछताए होत क्या…जब चिड़िया चुग गयी खेत !

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