एक्सक्लूसिवः क्या यूपी में पीके का उतरेगा नशा?

बी.के. सिंह। उत्तर प्रदेश में आजकल पीके यानि कि प्रशांत किशोर की खूब चर्चा हो रही है। यूपी की राजनीति को करीब से जानने वालों का दावा है कि पीके की असली परीक्षा उत्तर प्रदेश में ही होनी है। इस सूबे में कांग्रेस के साथ कई ऐसी समस्याएं हैं, जिन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि प्रशांत के लिए पुराने प्रदर्शन को दोहराना आसान नहीं होगा। सोशल मीडिया में तो बाकायदा “यूपी में पीके का उतरेगा नशा” नाम से एक पेज तक बना दिया गया है। कुछ लोग इस पेज के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि फीस के लालच में इस बार प्रशांत किशोर ने गलत बयाना ले लिया है। हालांकि प्रशांत किशोर से जुड़े लोगों का दावा है कि मोदी और नीतिश के बाद यूपी में भी प्रशांत किशोर का जलवा बरकरार रहेगा।

मई, 2013 में जब प्रशांत किशोर और उनकी युवा टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी प्रचार टीम का हिस्सा बने तो पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उनकी युवा टीम को हल्के में लिया। भाजपा के कई बड़े नेता तो उन्हें बच्चा समझ कर व्यवहार करते थे। आखिरकार जब नरेंद्र मोदी मई, 2014 में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आए तो इसका काफी कुछ श्रेय प्रशांत किशोर की टीम को भी दिया गया।

बताया जाता है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्यस्तता के चलते उन्होने प्रशांत किशोर को तवज्जो देना कम कर दिया और इसी दौरान भाजपा के एक बड़े नेता जो नरेन्द्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं से इनकी अनबन हो गई। इसी के चलते भाजपा ने प्रशांत किशोर की सेवा समाप्त कर दी। भाजपा को सबक सिखाने के लिए प्रशांत किशोर ने भी नीतिश का दामन थाम लिया।

साल 2015, महीना नवंबर, बिहार के चुनावी घमासान में भाजपा और महागठबंधन आमने-सामने। भाजपा के चुनाव प्रचार की कमान अमित शाह के हाथ में थी तो महागठबंधन के चुनाव प्रचार की कमान प्रशांत किशोर के हाथ में। जीत आखिरकार, प्रशांत किशोर और उनकी टीम की हुई वो भी जबरदस्त तरीके से। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशांत को सबके सामने गले लगाकर यह संदेश दिया कि जहां मोदी ने भारी जीत के बाद इस हमसफर को बाहर का रास्ता दिखाया वहीं मैने उसे पूरी दुनिया के सामने गले लगाया।

इन बड़ी राजनीतिक सफलताओं के बाद राजनीति में रुचि रखने वाला हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि आखिर ऐ पीके है कौन और महज पांच सालो में भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में कैसे शामिल हो गया। इसके काम करने का तरीका क्या है?

दरअसल प्रशांत किशोर के पिता श्रीकांत पांडे पेशे से डॉक्टर हैं। बिहार सरकार से रिटायर होने के बाद बक्सर में अपने आवास पर वह पिछले 15 साल से अपना निजी क्लीनिक चलाते हैं। प्रशांत के बड़े भाई अजय किशोर कारोबारी हैं वह पटना में रहते हैं। इसके अलावा उनके परिवार में उनकी दो बहनें भी है।

जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर ने इंटरमीडिएट (12वीं) की पढ़ाई पटना के एक प्रतिष्ठित साइंस कालेज से की है। उसके बाद उन्होंने हैदराबाद के एक कॉलेज से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की। प्रशांत किशोर अफ्रीका में यूएन हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर काम कर चुके हैं। पांच साल पहले वर्ष 2011 में प्रशांत नौकरी छोड़कर भारत आए।

प्रशांत किशोर और उनकी टीम के काम करने का तरीका बिल्कुल अलग है। पीके की टीम सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रही है। 27 साल यूपी बेहाल नाम से फेसबुुक पर एक पेज बनाया गया है। इस पेज से अब तक 365997 लोग जुड़ चुके हैं। पीके की टीम लगातार सोशल मीडिया के जरिए सपा, बसपा और भाजपा पर प्रहार कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *