गोरखपुर की जनता योगी से और योगी सरकार से ख़ासी नाराज़ है जानिए क्यों..

अभी लगभग एक हफ़्ते के लिए अपने घर गोरखपुर होकर आया हूँ। योगी सरकार को एक साल से ज़्यादा हो गया है सत्ता में आये तो कई लोगों से बात कर उनकी राय जाननी चाही कि सरकार के बारे में उनकी क्या सोच है। और मुझे ऐसा लगता था कि जब गोरखपुर के लोग बोलेंगे तो ज्यादातर योगी के पक्ष में बोलेंगे। पर उनसे बातचीत का सार यही है कि गोरखपुर की जनता योगी से और योगी सरकार से ख़ासी नाराज़ है। कुछ उदाहरण देखिए …

– विपक्षी नाराज़ है क्योंकि उनका तो काम ही है नाराज़ रहना। लोकतंत्र की हर शादी के फूफा जो होते हैं विपक्षी ।
– मगर भाजपा के कार्यकर्ता भी बहुत नाराज़ हैं कि पहले की सरकारों में कलेक्ट्रेट, तहसील और थानों पर जिस तरह सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं की “सुनवाई होती थी” ( इसे “दलाली चलती थी” समझें) , वैसी इनकी सुनवाई नहीं हो रही है।।
– छात्र परेशान हैं कि नक़ल रोक दी गई है जो सीधा सीधा उनकी डिग्री और नौकरी पर फ़र्क़ डालती है। मने, इनडायरेक्टली उनका “प्रोस्पेक्टिव दहेज” अफ़ेक्ट हो रहा है।
– बिजली ज़्यादा मिल रही है, ये भी परेशानी का सबब है क्योंकि अब बिजली के सालों ( या शायद दशकों) पुराने बिल भरे जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
– सरकारी शिक्षक परेशान हैं क्योंकि उन्हें अब रोज हाज़िरी लगानी पड़ रही है और स्कूल में पूरे समय रुकना पड़ रहा है कि पता नहीं कब विजलेंस के टीम का छापा पड़े। बाकी पढ़ाना तो पड़ ही रह है। कितनी बड़ी परेशानी है।
– स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधि ( प्रधान, BDC मेंम्बर, जिला परिषद सदस्य आदि) परेशान हैं कि विकास कामों के लिए आये धन की पाई पाई का ट्रांसपेरेंट हिसाब मांगा जा रहा है। नहीं तो अगला फंड रोक दिया जा रहा है।
– पुलिस महकमा परेशान है कि अब उसे पुलिसिंग करनी पड़ रही है।
– अन्य सरकारी कर्मचारी भी परेशान हैं कि उनकी प्रॉक्सी नहीं लग पा रही है और उन्हें न सिर्फ रोज़ काम पर आना पड़ रहा है बल्कि काम करना भी पड़ रहा है।
-साथ ही किसान तो परेशान है ही जिसके कई सरकारी और कई गैरसरकारी, कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारण हैं जिस पर तुरंत कार्रवाई अपेक्षित है।

कुल मिलाकर लब्बो-लुआब ये कि जब भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन जाये तो हमारी ज़िन्दगी का अभिन्न हिस्सा बन जाती है। और अगर कोई उसे बदलने की कोशिश करे तो हम परेशान हो जाते हैं। जब किसी बुरे काम की स्वीकार्यता बढ़ जाती है तो अच्छा काम ही बुरा बन जाता है। ऐसा नहीं है कि इन तथाकथित तकलीफों के अलावा यूपी में रामराज्य जैसा कुछ हो गया है, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है और अपेक्षित भी है। पर मेरी तकलीफ इससे है कि अगर कुछ अच्छा होने की शुरुआत हुई है तो लोगों को तकलीफ़ क्यों है ???

(Asian News International (ANI) में Special Correspondent के पद पर कार्यरत रंजीत सिंह के एफबी वॉल से साभार)

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