NDTV के खिलाफ कार्रवाई एमरजेंसी के दिनों की याद दिलाता है: एडिटर्स गिल्ड

नई दिल्ली। एनडीटीवी (NDTV) समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ को एक दिन के लिए बंद करने के आदेश का एडिटर्स गिल्ड ने कड़ा विरोध किया है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा NDTV इंडिया को एक दिन के लिए ऑफएयर करने तथा उसके आदेश का तुरंत पालन किए जाने के अभूतपूर्व फैसले की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया कड़ी निंदा करता है।

किसी चैनल को एक दिन के लिए ऑफएयर कर देने का निर्णय मीडिया की स्वतंत्रता, और इस तरह से भारतीय नागरिकों की स्वतंत्रता का सीधा उल्लंघन है, जिसके ज़रिये सरकार कड़ी सेंसरशिप थोप रही है, और जो एमरजेंसी के दिनों की याद दिलाता है।

ब्लैकआउट के अपनी तरह के इस पहले आदेश से पता चलता है कि केंद्र सरकार समझती है कि उसे मीडिया के कामकाज में दखल देने और जब भी सरकार किसी कवरेज से सहमत न हो, उसे अपनी मर्ज़ी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है।

किसी भी गैरज़िम्मेदाराना मीडिया कवरेज के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए किसी भी नागरिक या सरकार के सामने बहुत-से कानूनी मार्ग उपलब्ध हैं। न्यायिक हस्तक्षेप या निगरानी के बिना प्रतिबंध लागू कर देना न्याय तथा स्वतंत्रता के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया प्रतिबंध के इस आदेश को तुरंत वापस लिए जाने की मांग करता है।

वहीं दूसरी तरफ एनडीटीवी का कहना है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्‍त हो चुका है। बेहद हैरानी की बात है कि एनडीटीवी को इस तरीके से चुना गया। हर चैनल और अखबार की कवरेज एक जैसी ही थी। वास्‍तविकता यह है कि एनडीटीवी की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी।

चैनल का कहना है कि आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेडि़यों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से एनडीटीवी पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है। इसके मद्देनजर इस मामले में एनडीटीवी सभी विकल्‍पों पर विचार कर रहा है।

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