तब जो कह रहे थे, वो किस मुंह से कह रहे थे…

17 जवानों की शहादत के बाद फेसबुक पर सरकार को ललकारना/गरजना/पाक को मटियामेट करने की सलाह देना या फिर घर में घुसकर मारो जैसे जुमले उछालना बहुत आसान है..इसके लिए की पैड पर सिर्फ उंगलियां ही तो चटकानी है…लेकिन सच ये भी है कि जो लोग आज सत्ता में हैं ,वो लोग 2014 के पहले ऐसी ही बातें किया करते थे …एक हेमराज के बदले 10 सिर काटकर लाने की सलाह किसी फेसबुकिये ने नहीं दी थी …पाक को सबक सिखाने के लिए क्या क्या कहा गया था ,गूगल करके देख लीजिए…फिर सेना पर इतने बड़े हमले के बाद उनसे पूछना तो लाजिमी है कि सरकार , तब जो कह रहे थे ,वो किस मुंह से कह रहे थे …और अगर कह रहे थे तो आज मुंह सिले क्यों हैं ?
मैं तब भी मानता था और आज भी कि पाकिस्तान आतंकियों का सरपरस्त है,रहनुमा है लेकिन उसका इलाज युद्ध नहीं है …हम न तो अमेरिका हैं कि घर में घुसकर ओसामा को मार दें और पाक चुपचाप झेल जाए …कोई भी कदम फूंक फूंककर रखना होगा और उससे पहले कश्मीर को पटरी पर लाना होगा …
कोई है जो सिर्फ 2012 से 2014 के बीच के कुछ बयान गूगल से निकाल दे ताकि सनद रहे
( वैसे सरकार कुछ बड़े फैसले कर सकती है ,इंतज़ार कीजिए )

       (इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर अंजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से.)

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